कहने को बहुत कुछ था मगर वो सुन नहीं पाये आये थे मेरे दर पर मिलने मगर मिल नहीं पाये हमने सोचा कि गुफ्तगूं करेंगे मगर फिर खामोश ही रह गए कहने को बहुत कुछ था मगर वो सुन नहीं पाये अंदाज़ वो अपने अब देखते हैं आईने में अब खुद से छुपकर जुबां पर उनके …
दूर निकल आए हैं -२ हम तेरी चाहत में नहीं अब दिखती खुदाई तेरी नज़रों की जुदाई में दूर निकल आए हैं -२ हम तेरी निगाहो में नहीं मिलती राह अब हमें तेरी अपनी निगाहों में कहीं क़ाफ़िला निकल कोई कहीं चाहत का जनाज़ा रूखसत हुए आज कुछ कुछ को मिला नया ज़माना दूर निकल …
खोया सा आज तेरा दिल है खोये खोये से हैं तेरे शब्द खोयी खोयी सी ये निगाहें क्या तेरे सनम आज खोये हैं किस तरह तुझे आज ढूंढे कि आज तेरा वज़ूद ही ग़ुम है निगाहों में दिखता एक सवाल है कि आज तेरी ज़िन्दगी ही ग़ुम है किस राह की तुझे तलाश है किस राह खोया है …
Such is the depth of your love Such is the depth of your affection Such is the intensity of your feelings That it draws me out of lost hope Such is the depth of your words Such is the depth of your thoughts Such is the depth of your messages That it draws me out …
Lost are the thoughts and words As if scared to be chopped by swords Broken are the life’s cords As if chopped off by the swords Ink has dried with the heat such that I had to use my blood To give shape to words So scared is life today as if There is no …
तू जब गुलाब सी यूँ खिलती है मैं भँवरा बन वहीं मँडराता हूँ तू जब जाम से छलकती है मैं वहीं मयखाना बसा लेता हूँ तू जब कहीं खिलखिलाती है मैं वहीं अपना घर बना लेता हूँ जीवन के लम्बे इस सफ़र में तुझे मैं हमसफ़र बनाए जाता हूँ तू भले अपना राग गाती है …
चला जा रहा अपने पथ पर अनभिज्ञ अपने ध्येय से जो मोड़ आता पथ पर चल पड़ता पथिक उस ओर विडम्बना उसकी यही थी न मिला कोई मार्गदर्शक अब तक केवल चला जा रहा था अज्ञानी एक पथभ्रष्ट सा हर पथ पर खाता ठोकर हर मोड़ पर रुकता थककर किन्तु फिर उठता चलता अज्ञानी एक …
सूखा दरिया सूखा सागर ख़ाली आज मेरा गागर सूखे में समाया आज नगर हो गई सत्ता की चाहत उजागर बहता था पानी जिस दरिया में आज लहू से सींच रहा वो धरा को अम्बर से अंबु जो बहता था आज ताप से सेक रहा वो धारा को सूखा आज ममता का गागर सूखी हर शाख़ …
Confined by life are the thoughts today Confined to life are the thoughts today Confined by prospects are the thoughts today Confined by future are the thoughts today The thoughts though need to be free They have been constrained by expectations The thoughts though need to be varied They are now shaped by the society …
लहू तेरा बहा है आज लुट रही कहीं तेरी अपनी लाज नहीं किंतु तेरे लहू में वो रंग नहीं उस लुटती लाज के कोई संग कहीं दूर कोई धमाका हुआ किसी का बाप, भाई, बेटा हताहत हुआ छपा जैसे ही यह समाचार गरमा गया सत्ता का बाज़ार नहीं तेरे लहू से इनको कोई सरोकार …