Contemporary Poetry

कलाम को आखिरी सलाम

खुशनुमा जहाँ को जो कर गए  अवाम के पास अपना जो नाम छोड़ गए  खुदा  के उस बन्दे को सलाम  ए पी जे अब्दुल कलाम को मेरा सलाम  दुनिया में जो भारत की साख बना गए  अपने कर्मों से जो भारत का नाम कर गए  उस हस्ती को मेरा सलाम  ए पी जे अब्दुल कलाम …

कुछ तो लोग कहेंगे

कुछ तो लोग कहेंगे  जोक्स से वो जरूर चिढ़ेंगे  उनको तो बस करना है मनमानी  बद्तमीजी है उनको करनी  क्या खुद कहते हैं क्या खुद करते हैं  उससे बेपरवाह रहते हैं  लेकिन दुनिया में कहीं कोई कुछ करे  तो उसपर ऐतराज़ करते हैं  खुद दुनिया को कहें अपशब्द  तब खुद का बड़प्पन मानते हैं  वहीँ …

बेटी

ये कैसा राष्ट्र है मेरा ये कैसा देश है मेरा जहाँ सोना है माँ की गोद में छुपना है माँ के आँचल में और खाना है माँ के हाथ से पर बेटी से नहीं भरना घर ये कैसी सोच है हमारी ये कैसा समाज है हमारा जहाँ राखी बांधने को बहन चाहिए साथ खेलने को सखी …

धधकती ज्वाला में खोया है हर कोई

धधकती ज्वाला में खोया है हर कोई  ना अपनों में ना परायों में पाया है कोई  दुःख की तपिश में आज जीता है हर इंसान  सुख की ललक में बन रहा वो हैवान  था वक़्त कभी जब अपनों में बैठा करते थे दुखों की ज्वाला पर अपनत्व का मलहम लगाते थे  था वक़्त कभी जब …

डर

डर की ना कोई दवा है  ना डर का कोई इलाज यह तो सिर्फ पनपा है  अपने ही खयालो के तले डर के आगे ना हार है ना जीत  डर के सामने ना है किसीका वज़ूद  डर रहता है दिलों में छुप कर  नहीं किसी डर का कोई अंत  डर कर जीने वालों डर कर जीना …

वक्त का तकाज़ा

दिल में  यादें बसी हैंकसक बन गयी अधूरी तमन्नाएँवक्त का तकाज़ा है शायदकि दवा भी आज दर्द दे गयी यादों में आज भी ताजा हैवक्त वो, जो गुजर गया कहीं यादों में आज भी ताजा हैवक्त वो जब हम तन्हां नहीं थे एक था वक्त उन दिनोंजब दोस्तों के संग मिल बैठते थेअब वो वक्त है …

दामन

यूँ ना जा तू आज दामन छोड़ करकि इस दामन में तेरा बचपन पला हैइस आँचल ने तुझे तपिश में ढंका हैइसी आँचल की छाँव में तेरा लड़कपन गुजर हैना आज तू इस दामन को बेज़ार करना दुनिया के सामने अपनी माँ को शर्मसार करज़िद है गर तेरी कि तुझे खुद चाहिएतो चल उस राह …

दोराहा

ज़िन्दगी के कैसे दोराहे पर खड़े हैंकी जिस और कदम बढ़ाएंगे नुकसान ही हैगम-ऐ-जुदाई गर एक तरफ हैतो रिश्तों के कच्चे धागे दूसरी ओरअब चलें भी तो किस राह चलेंसाथ दें भी तो कि किसका देंआज अपने ही अपनों से बेगाने हैंआज अपनों से ही हम बेआबरू हुएदोराहे पर यूँ खड़े हैं अब हमयूँ ज़िन्दगी …