Contemporary Poetry

तरक्की की होड़

जब हम छोटे बच्चे थे दिल से हम सच्चे थे जात पात का नहीं था ज्ञान भेद भाव से थे अनजान जब हम छोटे बच्चे थे गली में जा खेला करते थे छत पर रात रात की बैठक थी चारपाई पर सेज सजती थी जब हम छोटे बच्चे थे मिलकर एक घर में रहते थे …

ज़िन्दगी की ज़ुत्सजु

ज़िन्दगी की जुत्सजु में हुआ है कमालज़िन्दगी को ही जीने की चुनौती दिए बैठे होज़िन्दगी की हर चाल तुम्हारे लिए हैऔर तुम उस चाल पर भी अपनी चाल लिए बैठे होक्या ज़ुल्म ज़िन्दगी तुमपर करेगी तुम खुद अपनी हार की माला लिए बैठे होज़िन्दगी से इस द्वंद्व में लड़ ज़िन्दगी सेतुम खुद अपनी असफलता संवार बैठे …

चंद प्रश्न और प्रार्थना

क्या तुम शान्ति नहीं चाहते? क्या तुम्हारे जीवन में नहीं कोई रस? क्यों तुम फैलाते हो आतंक? क्या यही है तुम्हारा धर्म? क्या नहीं चाहते तुम जीना? क्या नहीं चाहते लाना जीवन में नवरस? क्या तुम ईश्वर को नहीं पूजते? क्या तुम धर्मान्धता में हो डूबे? क्यों फैलाते हो तुम यूँ आतंक? क्या नहीं चाहते …

नादाँ परिंदे

दिल दहला देने वाली घटना पर अज़ाब-ऐ-अश्क भी सूख गए आँखों में नमी तो है  पर अश्क बह नहीं सके इतना दर्दनाक मंजर देख शब्द भी हलक में अटक गए होंठों पर लफ्ज़ आते आते  जुबां पर ही सहम गए नादां परिंदे आशियाँ से उड़े थे किसी पिंजरे में फंस गए निशाना बने किसी दरिंदगी …

अब तुम हमें जीने दो

और नहीं अब और नहीं  आतंक का साया और नहींजीना है अभी जीने दो हमकोइंसानियत का खात्मा अब नहीं धर्म के नाम पर ना करो अधर्मबेगुनाहो का ना करो यूँ क़त्लजीना है अभी हमें औरइंसानियत को न यूँ जाया करो बच्चो ने क्या बिगाड़ा था तुम्हाराक्या थी उनकी खतामासूम थे वो, अनजान गुनाह सेक्यों उनपर …

हैदर – एक सूत्र गाथा

विशाल भरद्वाज ने जब बनाई हैदर सोचा उन्होंने कि कहेंगे उसको हैमलेट किन्तु चूक गए वो अपनी करनी में रह गए वो सही विषय चुनने में|| चुना उन्होंने बशारत की कहानी को सन १९९५ में घटित एक जुबानी को किन्तु भूल गए कि कहानी है एकतरफा किसी का हाल बयान किया तो दूजा भूल गए|| …