Contemporary Poetry

हर इंसा आज यहाँ है तन्हा

तुम भी तन्हा हो हम भी तन्हा है और नज़ारा देखो दुनिया का हर इंसा यहाँ तन्हा है हादसा है ये ज़िन्दगी का हर इंसा खुद में ही तन्हा है  मुक़द्दर देखो इस इंसा का तन्हा इसने गुजारी ज़िन्दगी तन्हा ही मिली मौत भी इसे घुमा ये तन्हा हर गली हर गुचा फिर भी इसे …

कुछ लोग जो ऐसे मानते हैं

कुछ लोग जो ऐसे मानते हैं औरो से ज्यादा वो जानते हैं रिश्तों कि कीमत वो क्या जाने जो औरो को खुद से कम मानते हैं घमंड में ऐसे चूर हैं वो खुदा को भी बांटा करते हैं खुद को बड़ा बनाने को वो इबादत को भी झुठलाते हैं ऐसो के साथ क्या टकराना ऐसो …

तेरी यादें

उडी जो जुल्फें तेरी मदहोश कर गईं मिली जो नज़रें तेरी गुमराह हमें कर गईं सांसों की तेरी महक हमारी तन्हाई ले गई लबों पर थिरकती मुस्कराहट हमें दिवाना कर गई ना अब दिल को चैन है ना रूह को है आराम यादें तेरी बन एक जज्बा हमारा इम्तिहान ले गई

बीते वक़्त का तराना

आज याद आता है वो गुजरा ज़माना बचपन का हर वो तराना था कुछ और ही वक़्त वो जब दूरदर्शन शुरू होता था शाम को क्या वक़्त था वो 80s 90s का जब एक घर में चार नहीं चार मोहल्लो में एक टीवी होता था याद आता है आज वो ज़माना…बचपन का हर तराना वो …

बिन तिहारे

बिन तिहारे ये जग सूना  बिन तिहारे ये संसार अधूरा जो मैं जग में ढूंढा किया तिहारे चरणों में जा मिला मात-पिता तुम मोरे बिन तिहारे ये संसार अधूरा जनम से चला संग तिहारे अधर खोल सीखा बोलना कैसे भूलू वो बिसरी बातें कैसे भूलू वो बिसरे दिन गोद में तिहारी निकला बालपन आँगन में …