Poem – Hindi

संसद के गलियारे

संसद में धक्का-मुक्की का हुआ है खेललोकसभा में हो रहा इसका मेल राहुल ने रचाया सारा तमाशा देखो कांग्रेस की हताशा नेता जी बोले, “यह क्या हुआ?जनता ने यह दिन क्यों देखा हुआ?”लगा जैसे हुआ कोई संग्राम भेजना पड़ा निरीक्षक को टेलीग्राम राहुल बोला, “मैं तो था बस खड़ालोकतंत्र को कर रहा था बड़ा”यदि कोई …

लोकसभा में राहुल गांधी: एक व्यंग्य

लोकसभा के मंच पर आयानेहरू का वारिस, सबका सायाआवाज़ में जोश, मगर बात अधूरीकभी पप्पू, कभी “युवराज” की मज़बूरी काग़ज़ लहराए, मुद्दे उठाएपर तर्कों में अक्सर गड्ढे पाएमाइक बंद हो, या हंसी छूट जाएराहुल बाबा फिर भी मुस्काए कभी आलू से सोना बनाएंगेकभी “दंडवत” राजनीति सिखाएंगेचायवाले पर तंज कस जाएपर जुमलों से खुद न बच …

विरह एक अग्निपथ

कारे बदरा की चादर है ये सूनापनमन कहे, “कहाँ हो मेरे प्रिय सजन?”चांदनी भी ठहर-ठहर के पूछे,क्या ये विरह है प्रेम का सच्चा दर्पण? नयन बिछ बिछ पथ को ताकेंयादों की परछाईयों में भटकेंहर आहट में पी का ही नाम सुनेंहर सन्नाटे में धड़कनों को ढूंढें हवा की सरगम में तेरी सूरतसपनों में धुंधली सी …

सपनों की उड़ान

नीले अम्बर में पंख पसारमन के सपनों को ले उधारचल पड़ो राहों की ओररोक न पाए कोई भी ठौर धूल भरी हो चाहे राहहर मोड़ पर हो चाहे आहदिल में जला लो आशाओं का दीपन हो कोई मंशा अधूरी अधीप हवा हो तेज, या हो अंधियारसंबल रखो, न हो लाचारहर सुबह लाए नई पहचानबस उड़ते …

नई सुबह की आस

सूरज ने फिर से आस जगाईनयी किरणे एक नया संदेश लाईहर तम को ये दूर भगाये प्रकृति भी जीवन का गीत सुनाये पेड़ों की शाखें झूम उठींपंछी ने फिर से तराने गुनगुनाएधरती के आँचल में खुशबू छाईहर कोना नई उम्मीदों से भर आया चलो उठें, नयी राह बनाएंहर मुश्किल से अब लड़ना सिखाएंसपनों को पंख …

कभी आइये मेरे गाँव में

शोर पायल की झंकार काहाथों में खनकती चूड़ियों का साँसों में महकते गजरे का कहीं आपको ढूँढना है तो आइये कभी मेरे गाँव में  खिला बचपन जिन कलियों मेंलड़कपन बीता जिन गलियों में खेले लुकाछिपी जिन दालानों में मिले कंचे जहां खदानों से देखना है तो आइए मेरे गाँव में  वो खिलखिलाता सा सूरज वो चहचहाते से पंछीवो महकता सा बाग़ानवो गदराये …

इष्ट को नमन

ज्वाला हृदय की क्षीण ना करनाशिव के रौद्र रूप को ना भूलनादुःख किसी का क्या हारोगेनिमित बन मात्र अपना कर्म करोगेशिव ने तुमको भेजा है जग मेंदे डोर तुम्हारी कृष्ण के हाथों मेंबिन शिव बिन कृष्णउठा नहीं सकते एक छोटा कणनिमित्त हो मात्र कर्म करोअपने जीवन को सार्थक करो प्रचंड है रूप शिव काप्रखर है …

कोमलाँगी

गरज बरस मेघा सी क्यों लगती हो चमक दमक बिजली सी क्यों चमकाती हो क्यों काली घटाओं सा इन लटों को घुमाती हो क्यों अपने नेत्रों से अग्निवर्षा करती हो अधर तुम्हारे पंखुड़िया से कोमल हैं जो उन अधरों से क्यों घटाओं सी गरजती हो नेत्र विशाल कर माथे पर सलवटें क्यों माश्तिष्क से विकार …

सफलता के साधक

क्या तुम सोचते हो क्या चाहते हो कभी किसी कदम पर क्या पाते हो जीवन के पथ पर किस और जाते हो हर पल जो करते हो वही पाते हो अथक प्रयन्त कभी निरर्थक नहीं होते फल की आशा से कभी स्वप्न नहीं बुनते निरंतर प्रयास ही सफलता का साधन हैं असफलता के द्वार कभी …

जीवनसंगिनी

धरा की धरोहर सा संजोया जिसे अंतर्मन में बसा आत्मा बनाया जिसे स्वयं को छोड़ अपनाया जिसे तुम्ही हो अर्धांगिनी मैंने बनाया जिसे परमात्मा के परोपकार से जो मिली धर्मात्मा के आशीर्वाद से जो मिली अग्नि के साक्ष्य में जो मिली वही हो तुम तो मेरी जीवनसंगिनी बनी कहीं तुम्हारी सफलता ही है लक्ष्य मेरा जीवन द्वंद्व तो …