क्या बिगाड़ा है मैंने तेरा मैंने तो तेरी कोख है बसाई क्यूँ हूँ मैं कष्ट तेरा मैंने तो तेरी पदवी बढाई क्यूँ तू चाहे मुझे मारना क्यूँ सहूँ मैं ये प्रतारणा बन मैं तेरी परछाई जी लूंगी हंस मैं तेरे बोल सह लूंगी ना मार मुझे मेरे जनम से पहले मेरी इतनी तो तू सुन …
बिन बादल इस पहर लगी बरखा की झड़ी अंतर्मन को जाने क्या गया चीर नैनो से ढलक गया जाने क्यों नीर प्रकट कर गया जैसे वो ह्रदय की पीड जाने कौन सी गाथा जिसमें उलझा चित्त गया जिसमें जीवन का सपना मिट ना जाने कौन सी बेला है कि टूटा हर सपना भूल गया जिस …
चिंता की चिता में जलता है जीवन का दिया उसपर मौत को बढ़ती डगर है अंधकारमय कैसे जिए तिल तिल इस पाशविक संसार में जहां हर पल भय सताता है जीवन राह में|| —————————————————– चिता जीवन की अब बन रही चहुँ ओर नहीं मानव जीवन का कहीं कोई ठोर ठिकाना नहीं जहां रहे मानव शान्ति …
उजड़ा अगर बसना चाहे तो उसे बसानिर्माण में अगर द्वंद्व है तो उसे जगाचाह है अगर तुझमे बसने की है आदमतो उठ और नाश की प्रवृत्ति से जा टकरा|| —————————————————— अँधेरी रात में दिवा जलाना है तो हे आदमउठ तू प्रकृति के तुफानो से लड़ जाअगर है तुझमे इतना ही दमतो उठ अपनों को साथ …
सरबजीत सिंह की मृत्यु ने देश तो झंकझोर कर रख दिया, और इसपर मेरे एक मित्र अनूप चतुर्वेदी ने एक कविता लिखी….जिसको मैं आपके लिए प्रस्तुत कर रहा हूँ| किन्तु उनकी कविता ने मुझे चंद पन्तियाँ लिखने पर प्रेरित किया, जो उनकी कविता के बाद आपके लिए प्रस्तुत हैं – अनूप चतुर्वेदी की कविता – …
कित जाऊं मैं तोहे ढूँढने कित जाऊं मैं तोहे पाने बीते जीवन के सब रैना छुपे हो कहाँ ओ मोरे चैना बिन चैना ये जीवन सूना सूनी बगिया घर भी सूना काट खाए मोहे बेचैनी भूली बिसरी है जीवन की कहानी ना जाने कहाँ खो गए तुम चैना ना जाने कैसे बदल गए ये रैना …
कासे कहूँ मैं अपनी विपदा कासे कहूँ मैं अपनी पीड़ा ममत्व तो ममत्व है कासे कहूँ मैं उसका महत्व माँ से मैं जुड़ा हूँ भावों में माँ से में करता हूँ अपनी बातें कासे समझाऊं तोहे मैं माँ से है मेरा अपना नाता का कहूँ तोसे मैं अपनी व्यथा ना तोहे समझनी ये गाथा माँ …
हो रही धरा की धरोहर जार जार स्त्री का हो रहा हस ओर बलात्कार सहिष्णुताहीन हो गया है ये संसार घृणा और पाप का लगा है हर ओर अम्बार हलाहल अपमान का पी रहे देव भी दानव कर रहे हर ओर राज सांसारिक मोह में लीं है मानव भी दे रहा दानवों को वो करने …
संग मेरे वो जो होती है लगता है मुझे ये जग न्यारा लगता है हर पल मुझे प्यारा समय बीत जाता है पलों में सारा जब वो नहीं होती संग मेरे मष्तिष्क में उसकी ही छवि होती है जब कहीं बातें उठती हैं बिन उसके कोई बात समाप्त नहीं होती संग उसके ही दिन चढ़े …
मेरी ज़िन्दगी में गर है अब तो वो तुम्ही हो तुम्ही हो तुम्ही हो ज़िन्दगी में गर कोई हो तो खुदा करे वो तुम्ही हो तुम्ही हो तुम्ही हो आलम-ऐ-ज़िंदगी में अब गर चाहते हैं किसीको तो ऐ जान-ऐ-वफ़ा वो तुम्ही हो, तुम्ही हो तुम्ही हो गम-ऐ-ज़िंदगी से परे साथ जिसका चाहते हैं तो ऐ …