Poem – Hindi

मेरे दुश्मन

मैं एक सैनिक हूँ, करता हूँ देश रक्षा देश सेवा के लिए रहता हूँ मैं तत्पर जान न्योछावर मेरी देश हित में कभी शूरवीर तो कभी शहीद हूँ मैं करता हर पल मैं अपना कर्म हूँ दुश्मन का भी करता आदर हूँ पर ललकार नहीं मुझे उसकी सहन प्रज्वल होती उससे हृदयाग्नि प्रबल उत्तर है …

चंद् मुक्तक – २

देश के नेता जब हो चोर तो कैसे ना हो संसद में शोर हर पल लूटें जो देश की अस्मत तो कैसे जागे नागरिकों की किस्मत ======================== जहाँ न्यायपालिका करे उनकी रक्षा जहां न्यायाधीश मांगे उनसे भीक्षा जहाँ मिले उनसे गुंडों को दीक्षा कैसे बने वहां नागरिकों की आकांक्षा ======================== जहाँ देश के नेता करें …

स्त्री के विचारों का उदगार

विगत दिनों में जो घटित हुआ,  उससे मन बड़ा ही आहत हुआ| चंद् विचार मन में ऐसी आये  कि एक कविता का सृजन हुआ  करती है कविता एक स्त्री के विचारों का उदगार कि हुआ कैसे उसके औचित्य का प्रचार…. _________________________________________________ माँ की कोख में सोती जब मैं जग मुझे चाहे मारना जब ले जन्म आऊँ …

जीवन चितचोर

श्रृंगार कर जब तू आयी दुल्हन का  धड़कन थम गई मेरे ह्रदय की  लगा उस पल मानो थम गया था समय  रुक गया था श्रिष्टी का भी चक्र  लाल चुनर ओढ़े जो तुम खडी थी  दर पर सिमटी शरमाई सी  कोलाहल हुआ अंतर्मन में  हर ओर सुना मैंने बस एक ही शोर  रूपवती गुणवती खडी …

क्या यही है

तेरे नैनों की बोलियाँ तेरे अधरों की अठखेलियाँ नाम किसका लेती है  कि करती हैं किसकी ये खोज तेरे क़दमों की ये आहट  तेरे ह्रदय की घबराहट  नाम किसका लेती है  कि क्यूँ ये तुझे तडपाती हैं  क्या यही तपस्या है तेरी  क्या यही है तेरी प्रेमअगन  क्या यही है श्रोत तेरे अश्रुओं का  क्या यही है अंत तेरे …

चिड़िया

चिड़िया जब तुम चहचहाती हो मध्धम सुर में गाती हो सुर तुम्हारे जीवन संगीत सुनाते हैं कानों में प्रेम रस बरसाते हैं चिड़िया जब तुम चहचहाती हो  नील गगन में इठलाती हो गीत मेरे गुनगुनाती हो जीवन में प्रेम रस लाती हो चिड़िया जब तुम चहचहाती हो  ह्रदय में जीवन सितार बजाती हो सुर तुम्हारे नीवन …

तुम

जीवन संध्या में मिली तुम  कुछ ऐसी सिमटी शरमाई सी कि छवि उतर गयी ह्रदय में तुम्हारी सादगी की कुछ ऐसी ज्वाला जली प्रेम की कि ह्रदय में अम्बार लगा तुम्हें जीवनसंगिनी बनाने को  मन मेरा मचल उठा छवि तेरी जो ह्रदय में बनी थी उसका जब श्रृंगार हुआ सात फेरों के बंधन में बाँध तुम्हें …

पिया तोसे

पिया तोसे कैसे कहूँ, मोरा जियरा धडका जाए मोरा तन मन में जागी तोरे प्रेम की अगन कैसे कहूँ तोसे की ना जा बय्याँ छोड़, जियरा धडका जाए परदेस जो चले तुम संग हमें भी ले चलना बिन तोरे लागे सूना मोहे ये घर ये अंगना जिया में मोरे बस तोरी बसी है आस ना …

जीवन आस

जीवन जो कभी नीरस था जिसमें केवल एक दर्द था लगता आज फिर सुखमय है उसमें तेरे आने से एक आस है दर्द जो था सिने में दबा जिसमें थी एक जीवंत अगन आज वो अगन शांत है  ना उसमें अब एकांत है प्रेम की फिर है एक ज्वाला जली जीवन की फिर एक राह …

कवि की द्विविधा – Poet’s Dilemma

विलुप्त हो गए जाने कहाँ शब्द सूख गयी मेरी कलम की धारा जाने कहाँ कहाँ विचर रहा मेरा मन क्यों न फूंक रहा ये मेरी कविता में जीवन सुबह सवेरे जब उठता हूँ सुन चिडियों की तान लगता है जैसे भर गया हो नवजीवन में प्राण पर जब बैठता हूँ लिखने मैं कविता ना जाने …