कहाँ चला था करने मैं अभिव्यक्ति छीन गयी है मेरी हर शक्ति चेष्टा हुई, अपनाई मैंने भक्ति किन्तु रह गई अधूरी मेरी अभिव्यक्ति कहा जिसे, उसने कर दी अनसुनी बन के सामने मेरे एक अज्ञानी बहा कर भी मैं अपना रक्त ना कर सका अपनी भावना व्यक्त चला था मैं करने अभिव्यक्ति किन्तु ना मिला …
कल्पना की डोर थामेंशब्दों की माला पिरोयेकविता की पंक्तियों मेंकाव्य का आगमन हुआ काव्य के आगमन सेकवि की कल्पना मेंशब्दों की माला पहनेसजनी आभास हुआ सजनी के आभास सेउसके श्रृंगार मेंउसकी मधुर मुस्कान मेंनवजीवन का आरभ हुआ नवजीवन के आरम्भ सेकवि के श्रजनात्मक रूप सेनारी के श्रृंगार से काव्य की कल्पना का प्रारंभ हुआ||
उन्मुक्त जीवन जीने की चाह में चल दिया मैं पैसा कमाने भूख प्यास सब भुला दिए मैंने चल दिया मैं ऐश्वर्य कमाने पैसे की अंधाधुंध भूख में ऐश्वर्य की अंधभक्ति में भूल बैठा मैं अपना ध्येय खो बैठा मैं सबका श्रेय ना जाने किस पल अपनों से दूर हुआ ना जाने किस पल मैं विलीन …
कारी कारी अंधियारी रात में जब उजियारा फैले चंदा का अंगना में एक बहार आए सजना को सजनी भाये चांदनी में जो रूप खिले रजनी का श्रृंगार करे सजनी अपने साजन का मनभावन जो उजियारा भरे चांदनी सजना को दिखे मनमोहक सजनी कारी कारी अंधियारी रात में जब गगन में छाए चंदा साजन भर बाँहों …
राजनीति के अखाड़े में मिले कुछ नेता मिल कर वो बन गए देश के क्रेता कहते हैं आज वे खुद को भारत माँ के पूत घोटालों का नाम ले बन गए अशांती के दूत|| __________________________________________ काल का ग्रास बना है आज मेरा देश दानव घूम रहे यहाँ ले कर मानव का भेष हर ओर आज …
चंद नेता चंद बोलियाँ देखो संसद में इनकी अठखेलियाँ ना इनकी कथनी में दम है ना दम है इनकी करनी में पांच साल में ये एक बार दिखते घर घर आते वोट मांगते झुक झुक कर नमस्कार करते देश की तरक्की का दावा करते जीत कर जब ये सरकार बनाते घोटालों की फेरहिस्त बनाते भर …
कुछ कथनी कुछ करनी का है ये फेरा राजनीति में आज पड़ा है नासमझों का डेरा कोयले की दलाली में किये इन्होने हाथ काले इंधन का भाव बढ़ा, पड़ गए खाने के लाले फिर हुई कुछ इस प्रकार की हलचल दीदी ममता तक गई मचल त्याग मोह सत्ता का, किया ऐसा फेरबदल की मुलायम ने …
Few Lines Written to Oppose the Female Foeticide…..They may sound a bit haphazard, but they are the feelings that make me respect Women and Support the Cause to be Against Female Foeticide. अम्बा, अम्बे, अम्बालिके गौरी, सती, पार्वती महालक्ष्मी, सरस्वती, सावित्री ये सभी भी तो हैं देव स्वरुप स्त्री इनकी जब करते पूजा क्यों करते इनके …
आज मुझे मेरा देश पुकारे कहे मुझसे तू मेरे पास मेरे दुलारे जुड़े मुझसे उस अमिट इतिहास को देख देख तू इसमें बसी पित्रादर की छाया सुन तू प्रेम की मधुर वो झंकार सुन तू अम्बर में छाए मेघों का मल्हार मेरा देश मुझे रह रह पुकारे कहे बरखा की बूंदों के सहारे निहारता था …
मेरे देश में देखो कितने भरे चोर यहाँ बिन बरसात भी नाचे हैं मोर चारो ओर बस एक ही शोर घोर कलयुग है कलयुग है ये घोर कहीं है मैडम, तो कहीं दीदी तो कहीं है अम्मा का बोलबाला राज में इनके देखो देश को हर कोई कर रहा इसे सिर्फ खोखला चारो ओर आज …