हरियाली की चादर ओढ़ेमहक रही है वसुंधराबादलों का वर्ण ओढ़ेथीरक रहा अम्बर भी नदियों में बहता पानीमानो गा रहा हो जीवन संगीतपांखियों के परों को देखमानो नृत्य कर रही अप्सराएं खेतों में लहलहाती उपजफैला रही सर्व खुशहालीसुंदरता की प्रतिमूर्ति बनप्रकृति कर रही अठखेलियाँ कितना स्वर्णिम है ये जगतजिसमें रहता मानस वर्गक्यों आज व्यस्त है वोनष्ट …
जीवन नवरस को गूंथ कविता का एक प्रयास – रणक्षेत्र में जा वीर बना मैं देखा द्वेष का रूप वीभत्समौत का देख रोद्र तांडवपीड़ा से हुआ ह्रदय करुणहास्य से होकर विमुखभक्ति का अपनाया रुखअदभुत अनुभूति हुई तबश्रृंगार से मिला वात्सल्य सुख जब
कैसा ये मायाजाल है, है कैसा ये बंधनया है ये तेरे प्रेमजाल का ही सम्मोहनहै ये कोई दिवास्वप्न या मेरा ही भरम तेरे आगे क्यों छोटा लगता है हर करम||_______________________________ निद्रागोश में स्वप्न में तू दिखती हैहर समय कानो में तेरी वाणी बसती हैना चाह भी तेरे प्रेमजाल में बिंध जाता हूँतेरे नैनो के प्रेम …
देश का मैं हूँ एक नौजवानरहता हूँ सदैव सावधान चैन से तुम घर अपने सो सकोइसकर देता हूँ मैं बलिदान ना देना मुझे तुम कोई सम्मानना देना मेरी चिता पर कोई ज्ञानपरिजन मेरे ना पीड़ित हों कभीबस देना तुम इतना सा ध्यान मैं तो चला जाऊँगा एक दिनमेरा अंत तो निश्चित हैपर मेरा परिवार हो …
काहे करात तू मोसे प्रतिक्षाकाहे लेत तू धैर्य परीक्षा काहे छीने जियरा का चैनाकाहे बितात है प्रेम की रैनाना कर तू मेरे जीवन से खेलाना बना तू इसे दुखों का मेलाहाथ पकड़ जो साथ चले मोरेजीवन भर साथ रहूँ मैं तोरे
जब देखता हूँ जगत में पाता हूँ तुझे सबसे पावन देवों से ऊँचा पद है तेरा देवों से महान है तेरा कर्म तेरी गोद मैं मुझे स्वर्ग प्राप्त हुआ तुझसे मुझे जीवन ज्ञान मिला जननी है तू मेरी, मैं हूँ तेरा अंश शिक्षिका तू मेरी, मैं तेरा शिष्य तेरी शिक्षा से जो सीखा मैंने पलभर …
उजाला चहुँ और है, चहुँ और जले हैं दीपफिर भी जीवन अंधकारमय क्यों हैनिस्वार्थ जीवन यापन के जोग मेंक्यों प्रेम स्वार्थ का भय तड़पाता है जीवन डगर पर पित्र प्रेम का पक्ष हैह्रदय के किसी कोने में प्रेयसी की आसक्यों इस जीवन में इतनी द्विविधा हैक्यों पूर्ण उजाले में जीवन अंधकारमय है चंद प्रश्न चंद …
है धूम चहुँ ओर जिसकीहै जिसका चर्चा हर दिशा मेंलोकतंत्र में है जो महत्वपूर्णआया उस निर्वाचन का समय पांच वर्षों में आता है एक बारऔर जिससे चयनित होते हैंतंत्र पर राज करने वाले नेताजनता का पैसा खाने वाले नेता आते हैं उम्मीदवार बन ये नेताकरते हैं हमको प्रणाम और नमस्कारपर चयनित नेता गायब होते हैंगधे …
जीवनपथ पर चलता हूँ मैंलिए हाथ में विष का प्यालानहीं ज्ञात है अभी मुझेअपने ही जीवन की माला प्रेम प्रतिज्ञा से नहीं हुई हैप्रज्वलित मेरे मन की दीपमालाप्रतिदिन अखंड रूप से जलती हैह्रदय में आवेश की प्रचंड ज्वाला जीवनपथ पर हूँ अग्रसर लिए हाथ में विष का प्यालाशिव सी मूरत ना बन जाऊंकहीं पी कर …
नीले अम्बर में चहकते पाँखीझील की गहराइयों में तिरती मछलियाँघने वन में विचरते ये जीव जानवर हैं स्वतंत्रता का एक जीवित स्वरुप भोर भये पूरब से उगता सूरजरात चाँदनी बिखराता चन्द्रमाबलखाती बेलों पर लटकते फूलों की महकहवा के झोंकों में इठलाती पंखुडियाँप्रकृति का हर प्रकार, हर आकारसमय की धारा में गतिमान हैं प्रत्यक्ष रूप से …