नैनं में नीर है, मष्तिष्क में अस्थिरताचित्त मेरा है आज अशांति का प्यालाह्रदय में पीड़ा है, पीता मैं जिसकी हालाअर्पण की है जीवन ने मुझे ऐसी अश्रुमाला प्यास तेरी मैं कैसे बुझाऊं प्रिये जब पीता हूँ खुद ह्रदय की ही हालाव्यथा कुछ ऐसी है जीवन कीकि है मेरा मन ही एक मधुशाला मधुता जीवन की …
पथ में अडचने आएंगी बहुतसाथी कहेंगे सारे कटुवचनकिन्तु निश्चय कर तुम आगे बढ़ोअथक परिश्रम से तुम कभी ना डरो लक्ष्य पर केंद्रित करो तुम ध्यान संभल के करो अपना हर जतनकठीनाइयों का तुम करो सामनासफलता की सदा करो आराधना अडिग रखो तुम अपना विश्वासअचल रखो तुम अपना ध्यानतभी होगी जीत तुम्हारीतभी पूरी होगी तुम्हारी कामना
मैं गरीब बोल रहा हूँऔर मैं विचारों से गरीब हूँमेरी गरीबी पैसों से नहींमेरे अव्यक्त विचारों से है बचपन में अपने मैंनेममता की गरीबी देखीउस गरीबी से मेरेममत्व पर विचार अव्यक्त हैं पाठशाला में अपनी मैंनेशालीनता की गरीबी देखीउस गरीबी से मेरेशालीन विचार अव्यक्त हैं महाविध्यालय में मैंनेविध्या की गरीबी देखीउस गरीबी से मेरे कर्त्तव्य …
ढूंढता हूँ बहुत दिनों से मैंगहरे सागर में एक मोतीतपिश बहुत की है मैंनेजीवन अपना सवारने की तपन तो हुई बहुत मुझेगहन चिंतन मनन मेंदृढ़ निश्चय कर फिर भी चला मैं जीवन डगर पर अडचने बहुत सी आईंहुई बहुत सी द्विविधाकिन्तु अडिग रहा मैंअपने ही प्रयत्न में ना मुझे अब विजय की चाह है ना …
ना दो मुझे यूँ ताने, ना दो मुझे गालियाँमैं खुद नहीं जन्मा, अंग्रेज मेरे जन्मदाता हैंबरसों से सत्ता के कमरों में कैद हूँचंद अफसरों का में एक सेवक हूँकूटनीति की चिकनी मिटटी से लिपातुम्हारे ही आलिंगन में सजी एक सेज हूँसदिओं के इस नाते को क्या ऐसे ही छोड़ दोगेएक अन्ना के कहने पर नाते …
भोर भई सूरज उंगने को हैपर ये व्यथा कैसी ह्रदय में हैनींद नहीं आँखों मेंचंचल चित भी चिंतित है कोई तो पीड़ा है इसेव्यक्त नहीं करता उसेनिद्रगोश में जाने सेक्यों व्यर्थ व्याकुल है मनन चिंतन भी अब व्यर्थ हैकठिन अब दिवस व्यापन हैघनघोर पश्चाताप को व्याकुलनिराधार ये पागल है ना समझ है ये ना सुनता …
समय के साथ राहगीर तू चलाचलअडचने बहुत आएंगी जीवन मेंलेकिन तू थाम अपनी दांडीराह पर चला चल बस चला चल विजय होगी जो तेरी, तेरी ही है हारहवा के झोंके सा बस पतझड़ का लगा अम्बारजीवन है एक कठिन परीक्षा का नामलेकिन तू बस चला चल बस चला चल
शाख से टूटे गर तुम पत्ते नहींतो तुम्हे टहनी कि गरिमा का गुमान तो होगापेड जो तुम्हें पैदा करता हैउसपर कुल्हाड़ी के निशाँ का गुमान तो होगा
सोचा ना था इस कदर यूँ मुलाक़ात होगीतेरी यादों में यूँ तन्हा शाम-ओ-सहर होगीइन्तेज़ार में हाल-ऐ-दिल का क्या गिला करेंइन्तेहाँ है कि बेसब्र दिल अब भी तेरा नाम लेयादों में तेरी यूँ शाम-ओ-सहर ग़मगीन हैकि तन्हा हम ना कभी ग़मों के साए से हुएयादों में तेरी जो दर्द-ऐ-मुरव्वत से रूबरू हुएसर्द हवा का झोका जो …
का कहूँ छवि तिहारी, जित देखूं उत् दीखेई जो मैं सोचूं नैना बंद करके, मन वर जोत जले निद्रागोश में, स्वप्न में भी,चहुँ और जो दीप जलेना दिन में चेइना न रात में चेइनाबस चहुँ और तू ही तू दीखेईबस कर नखरा और न कर ठिठोलीआ बना मेरे अंगना कि तू रंगोलीभर तू रंग मेरे …