काफी दिनों से मन में गुबार थातिरंगे की कहानी का अम्बार थाकि सोचा बहुत कैसे कहूँलेकिन दर्द ऐसा है कब तक सहूँ हुआ कुछ यूँ कि तिरंगा मिला सपने मेंकहानी थी उसकी इतनी सर्दना थी उसमें हद्दअब कैसे सहूँ में ये दर्द तिरंगा खुश होता गरउसे शहीद पर चढ़ाया जाएउसे लाल किले कि प्राचीर पर …
आज के दौर में हर किसी को बहुत कुछ पाने कि चाह है और इस चाह में उन्हें अपनों का ध्यान नहीं, ना ही उनके पास वक़्त है अपनो के लिए| इस कविता में कवी ने उसे बड़े ही नायब तरीके से ज़ाहिर किया है| ये कविता किसने लिखी ये मुझे इल्म तो नहीं, लेकिन …
शत शत नमन है उस वीर कोजीवन जिसने अपना बलिदान कियामातृभूमि के सम्मान मेंसर्वस्व अपना त्याग दियानिडर निर्भीक हो करशत्रु पर उसने वार कियाविजय की और अग्रसर होइसी सोच का आलाप कियाशत शत नमन है उस वीर कोमातृभूमि की रक्षा मेंजिसने जीवन का परित्याग कियाअभिनन्दन है उस वीर कोरक्त से अपने विजय तिलक जिसने मातृभूमि …
प्रखर प्रभद्ध ललाट पर रक्तिम तिलक की छाप हैयुद्ध को अग्रसर वीर अश्व पर सवार हैहाथ में लिए वो खडग, कृपाण, कटार है नेत्रों के उसकी मातृभूमि का सम्मान है मस्तक पर उसके रणविजय का प्रताप हैकालसर्प सी लहराती उसकी तलवार हैकटार पर उसकी विजय की धार हैबाजुओं में लिए विजय का प्रमाण है धरा …
वर्षा ऋतू में क्या कहेंजीवन में हुई हलचल हैकाली इन घटाओं को देखतुम्हारी घनी लटों का आभास हुआयूँ बूंदे जब गिरी वृक्षों परतुम्हारे आलिंगन का आभास हुआनाचते मयूर को देखये ह्रदय भी पागल हुआवृक्षों से गिर जब धरती में सिमटी बूँदेंमेरे अंतर्मन में तेरे ही नाम कि पुकार हुईपानी जब पहुँचा धरातल मेंसींचा हर जड़ …