Poem – Hindi

शिव से पूछो क्या है मुझमें

शिव से पूछो तुम क्या है मुझमें  क्यों आज शिव है मुझमें  हाला मैं क्या पी आया जग की  क्या बन बैठा हूँ शिव की प्रतिमा  तन्द्रा ना करो भंग मेरी तुम  ना करो मुझसे अब कोई छल  कि कब मैं शिव बन जाऊं  कि कब मुझमें बस जाए शिव  हाला मैं बहुत पी चुका  जीवन में  बहुत …

एक कवि की पीड़ा

जब कभी कविता की पंक्तियाँ पढ़ता हूँ  तो भाषा का अनुचित प्रयोग का ज्ञान होता है हिंदी में कही जाने वाली पंक्तियों में  अन्य भाषाओं के शब्दों का समावेश होता है ना जाने कहाँ विलीन हो गई है परिपक्वता अब तो काव्य की रचना मैं भी है अराजकता भावनात्मक विश्लेषण भी अब नहीं है होता …

हर हर हर महादेव

ॐ हर हर हर महादेवाए नमः  ॐ प्रभु अव्यग्राय नमः  हरि हर अव्यक्ताय नमः  ॐ हरि हरि हरि ॐ शिवाय नमः  तू आदि है तू ही अंत है  तू ही मूरत तू ही लिंग है  तुझसे ही जग हैतुझमें ही जग है विनाशक है तू रचयिता भी तूमानव के मश्तिष्क सेदानव के अंतर्मन मेंबसा है …

विमुद्रीकरण पर सिकी राजनीति की रोटी

विमुद्रीकरण किस प्रकार चिंता जनक है  कि विमुद्रीकरण की कतार में हुई मृत्यु  एक राजनितिक पहलू बन जाता है  बिना किसी पुष्टिकरण है  पत्राचार का एक बन जाता है  इन बुद्धिजीविओं से विनती है  यदि तुम चाहते हो ऐसे ही विषय  तो जरा ध्यान लगाना दक्षिण में  कुछ वहां भी सिधार गए है  अम्मा के …

कैसे करे अब स्वयं को चैतन्य

आज की समय में कौन अपना है कौन परायाकैसे पहचान करें किसमे राम किसमे रावण समायाकैसे स्वयं को कोई चैतन्य करेजब भगवान का मोल भी यहाँ पैसों में धरेनहीं मिलता बिन माया के कुछ संसार मेंबिन माया अपने भी दिखाते हैं बेग़ानो मेंकैसे करे अब स्वयं को हम चैतन्यकि अब रहते हैं रिश्तों की क़ब्र …

ज्ञान बंटोर ले

यदि कहीं ज्ञान बँट रहा है  तो तू ज्ञान बंटोर ले  यदि कोई ज्ञान बिखेर रहा है  तो तू ज्ञान बंटोर ले  ज्ञानवर्धन कोई क्रीड़ा नहीं  वर्षों की तपस्या है ज्ञान से तू समृद्ध होगा  ज्ञान से तू बलवान होगा  ज्ञान का कोई प्रदर्शन नहीं होता  कहीं बंटता है तो कोई पाता है  ज्ञान कभी ख़त्म नहीं होता खोता नहीं  …

मृत्यु पर राजनीति

वीरगति को प्राप्त कर गएपरायण कर गए संसार सेदेखो उनकी माता रोती हैपलकों में लहू के अश्रु लिएअच्छे दिन को तुम तकते होउनकी वीरगति के सहानुभूति मेंयदि अच्छे दिन मोदी लाएगातो परिभाषित करो अच्छे दिन कोलहू शास्त्रों का तब भी बहा थाजब रामराज्य था सतयुग मेंअब तुम कलजुग में जीते होकिसी की मृत्यु में अच्छे …

बहुत हो चुका परिहास

रक्त की आज फिर बानी है धारा  फिर रहा मानव मारा मारा  हीन भावना से ग्रसित अहंकारी  फैला रहा घृणा की महामारी  वर्षो बीत गए उसको समझाते  हाथ जोड़ जोड़ उसे मनाते  फिर भी ना सीखा वो संभलना  आता है उसे केवल फिसलना  सन सैंतालीस में खाई मुँह की  सन पैंसठ में भी दिखाई पीठ  सन …

कहानी हम जैसों की

कहते इसे कहानी घर घर की हैं  इसमें ना कोई अपना है ना पराया  पाना हर कदम पर तुमको धोखा है  यही बस इस कहानी का झरोखा है  कोई किसी का नहीं है यहाँ  सारे अपने आप से ही जूझ रहे  किसी को नहीं है समय यहाँ  सारे अपने ही ग़मों से लड़ रहे  कहते …

ओम नमो गणपतये नमः

परब्रह्म रुपम देवम  प्रणाम है देव नित्यम रूप प्रखर धार कर वक्रतुंड लंबोदरम दान दे आज धरा को विघ्नकर्ता पाप का विनाश कर उथ्थान कर मानव का मानवता को प्रखर कर गणपति गणेश गजनरेश  शिव महिमा का है लम्बोदर आज इस धरा पर प्रचार कर  अपनी शक्ति से हे परब्रह्म  तू मानवता को सद्बुद्धि दे  ओम …