ये तेरा ये मेरा, ये रिश्ता हमारा कैसा है ये ईश्वर का खेला कि तू है मेरी जान कैसे रहूँ मैं तेरे बिन-२ जीवन की राहों में साथ हो तेरा यही है सदैव विश्वास हमारा करते हैं ईश्वर से यही हम प्रार्थना कि संग तेरे ही जीवन है जीना – २ श्रिश्टी के रचियता की …
ना तेरी बांसुरी ना तेरा माखनआज मोहे दे दे तू अपना चक्रना है अब ये महाभारतना चाहिए मुझे अस्त्रों में महारत मत बन तू मेरा सारथीमत बना मुझे तू अर्जुनआज बन तू मेरा साथीकरने को नए जग का सृजन कलयुग के अन्धकार में आजडूब गया है मानवधर्मफ़ैल रहा अधर्म चहुँ औरनहीं दिखता मानवता का छोर …
कुछ दूर निकल आये हैं घर की खोज में अकेले ही निकल आये हैं एक नए घर की खोज में साथ अब ढूंढते है तेरा घर की खोज में एक था वो दिन जब रहते थे तेरी छाँव में फिर दैत्यों ने किया दमन तेरी गोद में लहू की नदियां बहाई, तेरी धरा पर बहनो की …
साँझ पड़े बैठा नदिया किनारे सोच रहा मैं बैठ दरख्त के सहारे कितनी सरल कितनी मधुर है ये बेला है कौन सा ईश्वर का ये खेला संगीतमय है जैसी ये लहरों की अठखेलियाँ कितनी मद्धम है पंछियों की बोलियाँ कहीं दूर धरा चूमता गगन कौन से समय में लगाई ईश्वर ने इतनी लगन कितनी सुहानी …
नवरात्रों का त्यौहार आया माता का पर्व आया घर घर अब बैठेगी चौकी बारी है घट स्थापना की चौक में पंडाल सजेगा बीज शंख और ताल बजेगा बजेंगे अब ढोल नगाड़े खेलेंगे गरबा साँझ तले माँ का आशीर्वाद निलेगा यह सोच हर काज बनेगा नव कार्यों की नीवं सखेंगे हर किसी के सपने सजेंगे नवरात्र …
आज के नेताओं का धर्म क्या है किसकी वो करते हैं पूजा कभी हुई ऐसी जिज्ञासा कभी उठा है कोई ऐसा प्रश्न गौर करोगे तो जानोगे उनकी जात राजनितिक अभिलाषा है उनका धर्म करते हैं वो सत्ता की पूजा नहीं पैसे से बढ़कर उनके लिए कोई दूजा कोई बड़ा नहीं कोई छोटा नहीं उनके लिए सर्व …
सत्ता का लालच देखो देखो इनकी मंशा नहीं किसी को छोड़ा इन्होने भारत माँ तक को है डंसा आरक्षण पर राजनीति खेल रहे कर रहे देश के टुकड़े जात पात में हमको बाँट रहे कर रहे धर्म के टुकड़े सूखे की राजनीति खेली खेली इन्होने लहू की होली दम्भ के ठहाकों के बीच कर रहे …
व्यथित आज मन है मेरा व्यथित यही चित्त व्यथा मस्तिस्क में रह रही हलचल ये जीवन में मचा रही कारक नहीं समझ में आया किया चिंतन मनन बहुत देवों की भी कि आराधना “नहीं पता” है उनका भी कहना चेष्टा थी कि तुमसे पूछूँ संग बैठ तुम्हारे मैं सोचूं किन्तु वृद्धि हुई पीड़ा में और भी …
नैन ताके राह किस गुजरिया की छोड़ मँझधार हुई मैं पिया की नहीं मोहे अब बैर किसी से नाहीं चाहूँ मैं देवोँ की डगरिया पिया संग है मोहे अब जीना पिया के लिए धड़के अब मोरा जियरा रूठे देव तो रुठने दो उनको मनाऊँगी उनको पिया माना है जिनको कहे अब नैन ताके राह तिहारी …
बदरा छाए, नैनो में बदरा छाएआज पीह से मिलन की आस मेंनैनो में बदरा छाए, बदरा छाएआज फिर मिलन की आस में कहें तोसे कैसे पियाकहाँ कहाँ ढूंढे तुझे जिया, ढूंढे जिया……… कहूँ कैसे, थामूँ कैसे, रोकूँ कैसेनीर जो बरसे नैनो से, नैनो से नीर जो बरसेबदरा छाए तोसे मिलन की आस मेंनैना नीर बहाए …