किंग मिका सिंह ने हाल में एक मूवी बनाईहै साथ में शान ने उसमें अपने जोहर दिखाएँ हैं दोस्तों मेरे यारों ये मूवी गजब है गानों के साथ इसमें म्यूजिक कि भरमार है बलविंदर सिंग फेमस हो गया नाम है मूवी का 26 सितम्बर को कार्यक्रम है रिलीज़ का मिका और शान दोनों का एक …
विचारों में तो अंतर आ चुका है,मतभेद भी हैं बहुतेरेअब यदि रहना है यहाँतो रहो बनकर अपनेऔर यदि सोचते हो तुमकी करोगे और एक बटवारातो एक ही संदेश है हमाराजाकर रहो जहाँ दिल है तुम्हाराभारत अब अखंड है और रहेगा अखंडतुम यदि मानते हो खुद को परायातो समझो पडोसी देश को सरमाया||
अपनी बर्बादी के किस्सों को बयान नहीं करतेकि कहीं उनमें अपनी ही कमजोरी होती हैखंज़र-ऐ-दुश्मन गर कभी चल भी जाए तो क्याअपने होसलों से कामयाबी हासिल करते हैं || ना डर तू किसी से ता ज़िन्दगीफिर वो खुद खुदा क्यों ना होसच कि राह पर गर तू चलेगा दुश्मन तो क्या खुदा भी तुझसे डरेगा …
कुछ लोग जो ऐसे मानते हैं औरो से ज्यादा वो जानते हैं रिश्तों कि कीमत वो क्या जाने जो औरो को खुद से कम मानते हैं घमंड में ऐसे चूर हैं वो खुदा को भी बांटा करते हैं खुद को बड़ा बनाने को वो इबादत को भी झुठलाते हैं ऐसो के साथ क्या टकराना ऐसो …
रुदन है ह्रदय में, हाहाकार है मची आज इस संसार में है तेरी कमी मंशा क्या है जीवन में तेरी कि आज रुदन से है जीवन में कमी प्रयासरत हैं तेरी प्रसन्नता के किन्तु नहीं ज्ञात तेरी मंशा रुदन का ही स्वर है उत्तर आज हर ओर है रुदन का ही अस्तित्व खोज रहे हैं …
कान्हा तेरी बांसुरी सुना अपने लड़कपन की कहानी सुना कहाँ गोपियों संग तू खेला बिरज में कहाँ माखन चुराई तूने गोकुल में कहाँ तूने बालपन बिताया कान्हा तेरी बांसुरी सुना अपने लड़कपन की कहानी सुना अवतरित जो हुआ तू द्वापर में कहाँ तुने अपना बालपन बिताया कहाँ तुझे मैया ने आँचल में छुपाया काल कोठारी …
तेरे नैनो की भाषा जाने ना मेरे नैन तेरे नैनो की भाषा जाने ना ना जाने क्या कहते हैं तेरे नैना ना जाने क्या छुपाते हैं तेरे नैना मेरे अंतर्मन में मचा कोलाहल ना जाने क्यों चुप हो जाते हैं तेरे नैना जाने किस घडी में क्या कहते हैं ना जाने क्यों ये अकस्मात चुप …
बहुत खुश हो लिएबहुत कर किया गुणगानकुछ दिन और रुक जाओउसके बाद करना बखान पंजा कसो, कमल उठाओया हाथी की करो सवारीसाइकिल से यात्रा करोया कहो झाडू की है बारी चाहे कुछ कर लो तुम जनतानहीं बदलना इस राष्ट्र का भाग्यजिस दल में तुम झांकोगेभ्रष्टों का ही अम्बार मिलेगा आज ये नेता देते करोडोपाने को …
बैठ ताल किनारे दरख़्त सहारे देख रहा मैं मछरियों का खेला कैसे अठखेलियाँ वो करती कैसे एक एक दाने पर झपटती ऊपर शाख पर बैठ बगुला भी देख रहा था सारा खेला एक दांव में गोता लगा कर चोंच में भींच लेता मछरी क्षण भर के इस हमले से सहम सी जाती मछरिया गोता लगते …
कान्हा कान्हा पुकारू मैं इस कलयुग में द्वापर के युगपुरुष को ढूँढू मैं कलयुग में कह चला था कभी कान्हा “यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवती भारत अभ्युथानम अधर्मस्य तदात्मानं श्रीजाम्यहम” किन्तु आज नहीं आता नज़र कान्हा कान्हा पुकारूँ में इस कलयुग में ढूंढूं तुझे आज में पापियों भरे इस जग में अधर्मी आज हो चला …