Poem – Urdu

पैगाम

परेशाँ गर वो हुए रातों में जाग कर तो ये उनकी दीवानगी नहीं तेरी जुल्फों की क़यामत थीगर उसे तुझसे इश्क हुआ तो ये उसकी नासमझी नहीं थीथा ये तेरी अदाओं का गुनाह गर उन्होंने काटी ये रातें ख्वाबों में तो ये उनके ख्वाबों की ताबीर नहीं थी ये तेरी बेफवाई का सबूत ना हंस …

दास्ताँ

आहट जो हुई दरवाजे परउनके आने का एहसास हुआजब नज़रें उठीं उनकी ओरउनसे ही निगाहें चार हुई कुछ ख़ामोश थी उनकी निगाहेंकुछ खामोश हुई हमारी नज़रएक लम्हा कुछ यूँ ही गुजाराखामोश निगाहों की गुफ्तगू में कदम उनके भी लडखडाएज़रा हम भी डगमगाएइश्क का ये सफरथा ही पथरीली राह में ना आह निकली उनकी जुबां सेना …

एक गुजारिश

नज़र अंदाज़ करना तो एक बहाना हैकिसी को नज़रों से गिराने का गुनाह हैयादों के चिलमन से उनको देखोउनके साथ बिठाये उन लम्हात को देखोक्या सितम कर बैठे हो तुम उनपरजिंदगी से अपनी उन्हें निकाल करबढ़ा कदम जरा उन्हें आगोश में लोअपनी जुल्फों के साये में उनको अमन दोजरा उस गुज़ारे लम्हात को जीना सीखोउनकी …

कुछ सवाल

रात के अंधियारे में क्या खुद से डरते हो क्या उन सन्नाटों में अपनी धडकन से डरते हो तोहफा हमारा तो एक खुली किताब था जिंदगी के अंजाम सा एक खुला आसमान था ना जाने यूँ तुमने सौगात को सजा समझा ना जाने क्यूँ तुमने वफ़ा को इश्क समझा हमनें तो साथ निभाने का वादा …

मेरी यादें

आज कुछ यादें ताज़ा कर रहा हूँवो  यादें जो मेरी अपनी हैंवो यादें जो मेरे जेहन में हैंवो यादें जो मुझे धोका नहीं देंगीवो यादें जो मुझे कभी नहीं छोडेंगीवो यादें जो मेरी तन्हाई की साथी हैंवो यादें ओ तेरी बेवफाई का कलाम हैंवो यादें फिर भी मेरी अपनी हैंवो यादें वो बेवफा नहीं हैंआज …

इश्क का कलमा

एक  सवाल कुछ ऐसा मन में आया –  प्यार की गर इतनी चाह है तो तू खुद से प्यार कर इतनी ही गर तड़प है तो खुदा से तू प्यार कर ना कर प्यार की गुज़ारिश तू इस इंसान से इसने तो खुदा को ना बक्शा, तेरी बिसात क्या है ____________________________________ कुछ  सोच बदली तो …

अक्स-ऐ-जिगर

अक्स बयां ना कर अपने जिगर का कुछ तो ख्याल कर अपने इश्क का यूँ बेगैरत कर बेजार ना कर यूँ  बयां कर दर्द उजागर ना कर तेरी जिंदगी पे कुछ निशाँ उसके भी हैं जो रूह को छू निकला है तेरे दर्द जो भर गया दामन में तेरेसर्द  एक अंदाज दे गया तेरी आँखों मेंना …

गुजारिश – ऐ – बंदगी

एक  अरसा हुआ कि हमारी एक अज़ीज़ दोस्त ने कुछ लफ्जात लिखे और हम उन्हें पढ़ ग़मगीन हो उठे थे…. लेकिन आज जब फिर पढ़ा उनका वो कलाम, तो दिल से निकले कुछ लफ्ज़, ये कलाम है उस दोस्त को सलाम और है उनको हमारा एक पैगाम…. गम का खजाना अंखियों में छुपा बैठे होइस …

यादें

यादों की कश्ती में सवार जब हम बातों की पतवार से सफर की कगार पर पहुंचते हैं तो कुछ नगमें यूँ बनते हैं जैसे कुछ लम्हों पहले हमारी एक शायरा दोस्त से बातें करते हुए बने| जी हाँ बात बात में उन्होंने कुछ इस तरह कहा – अब उदास होना भी अच्छा लगता हैकिसी का …

सिलसिला-ऐ-मुलाक़ात

नगमों का गर कभीं कोई दर्द समझे,गर कोई उनकी रूह को समझे,तो एक पयाम निकलता है कुछ इस कदर,कि कायनात में जैसे चाँद निकले बादलों में छुपकर| कल जो हमनें कलाम लिखा था, उसपर हमें मिला हमारी हसीन शायरा का पैगाम, पैगाम में था उनका कलाम जो हमनें थोडा और पढ़ा और थोडा और उसे …