Poem – Urdu

वक्त का तकाज़ा

दिल में  यादें बसी हैंकसक बन गयी अधूरी तमन्नाएँवक्त का तकाज़ा है शायदकि दवा भी आज दर्द दे गयी यादों में आज भी ताजा हैवक्त वो, जो गुजर गया कहीं यादों में आज भी ताजा हैवक्त वो जब हम तन्हां नहीं थे एक था वक्त उन दिनोंजब दोस्तों के संग मिल बैठते थेअब वो वक्त है …

दामन

यूँ ना जा तू आज दामन छोड़ करकि इस दामन में तेरा बचपन पला हैइस आँचल ने तुझे तपिश में ढंका हैइसी आँचल की छाँव में तेरा लड़कपन गुजर हैना आज तू इस दामन को बेज़ार करना दुनिया के सामने अपनी माँ को शर्मसार करज़िद है गर तेरी कि तुझे खुद चाहिएतो चल उस राह …

दोराहा

ज़िन्दगी के कैसे दोराहे पर खड़े हैंकी जिस और कदम बढ़ाएंगे नुकसान ही हैगम-ऐ-जुदाई गर एक तरफ हैतो रिश्तों के कच्चे धागे दूसरी ओरअब चलें भी तो किस राह चलेंसाथ दें भी तो कि किसका देंआज अपने ही अपनों से बेगाने हैंआज अपनों से ही हम बेआबरू हुएदोराहे पर यूँ खड़े हैं अब हमयूँ ज़िन्दगी …

तरक्की की होड़

जब हम छोटे बच्चे थे दिल से हम सच्चे थे जात पात का नहीं था ज्ञान भेद भाव से थे अनजान जब हम छोटे बच्चे थे गली में जा खेला करते थे छत पर रात रात की बैठक थी चारपाई पर सेज सजती थी जब हम छोटे बच्चे थे मिलकर एक घर में रहते थे …

ज़िन्दगी की ज़ुत्सजु

ज़िन्दगी की जुत्सजु में हुआ है कमालज़िन्दगी को ही जीने की चुनौती दिए बैठे होज़िन्दगी की हर चाल तुम्हारे लिए हैऔर तुम उस चाल पर भी अपनी चाल लिए बैठे होक्या ज़ुल्म ज़िन्दगी तुमपर करेगी तुम खुद अपनी हार की माला लिए बैठे होज़िन्दगी से इस द्वंद्व में लड़ ज़िन्दगी सेतुम खुद अपनी असफलता संवार बैठे …

नादाँ परिंदे

दिल दहला देने वाली घटना पर अज़ाब-ऐ-अश्क भी सूख गए आँखों में नमी तो है  पर अश्क बह नहीं सके इतना दर्दनाक मंजर देख शब्द भी हलक में अटक गए होंठों पर लफ्ज़ आते आते  जुबां पर ही सहम गए नादां परिंदे आशियाँ से उड़े थे किसी पिंजरे में फंस गए निशाना बने किसी दरिंदगी …

अब तुम हमें जीने दो

और नहीं अब और नहीं  आतंक का साया और नहींजीना है अभी जीने दो हमकोइंसानियत का खात्मा अब नहीं धर्म के नाम पर ना करो अधर्मबेगुनाहो का ना करो यूँ क़त्लजीना है अभी हमें औरइंसानियत को न यूँ जाया करो बच्चो ने क्या बिगाड़ा था तुम्हाराक्या थी उनकी खतामासूम थे वो, अनजान गुनाह सेक्यों उनपर …

उम्मीद्दों में जिए हम

उम्मीद्दों के सहारे जिए हम आज हमें नाउमीदी ने है घेरा दामन तेरा पकड़ कर जिए हम आज तेरे दामन की राह में है डेरा ना कोई उम्मीद है हमें आज ज़िन्दगी से ना ज़िन्दगी ने जगाई कोई उम्मीद बस मायूसी है छाई चारो ओर एक सन्नाटा है हमें सुनाई देता जहाँ में आये थे …

आरज़ू

यूँ ही न भुला देना तू मुझको कि तेरी ही राह का मैं मुसफिर हूँ यूँ ही न ठुकरा देना तू मुझको  कि तेरा हमसफ़र बनने का ख्वाहिशमंद हूँ बहुत मुद्दतों के बाद तू है मिली मुझको यूँ ही सरे राह दामन न छोड़ देना बड़ी मुश्किलों से ये बंधन बना है यूँ ही जज्बातों …

तेरी अदा

तेरी अदाओं में जो जादू है तेरी अदा में जो नखरे हैं तेरी अदा में तो नाजुकता है ऐ साकी जरा इस पैमाने में भर दे ——————————————————– तेरी अदाओं के सदके मर जाएंगे हम इनके चलते भर दे तू पैमाना ये वर्ना शराब के नशे में हम बहक जाएंगे ——————————————————– नशा जो तेरी अदाओं का …