गम से मेरा नाता बहुत पुराना हैकि ग़मों ने मेरा साथ कभी छोड़ा नहींकि गम के सहारे मैं जीता आया हूँकि शराब के प्याले में भी गम पीता आया हूँनहीं मुझे कोई गिला ग़मों की दुनिया सेकि है ग़मों से मेरा रिश्ता आदम के जमाने से||
देख रहा मैं इस दुनिया का दस्तूर बैगैरत कर हमें प्यार अपना जताते हैं रुसवा हमारे इश्क को कर इज़हार-ऐ-मोहब्बत करते हैं मार कर हमारी इंसानियत को खुदा का दर्ज़ा देते हैं देख रहा हूँ मैं दुनिया के दस्तूर कि बैगैरत कर इश्क जताते हैं तोहमत मेरे प्यार पर लगाईं बेपर्दा मुझे हर बार किया …
वक़्त गुजार दिया तेरे इंतज़ार में एक फासला तय किया तेरे इंतज़ार में खड़े हैं आज हम सिफार की कगार पर कि खत्म नहीं होता आलम-ऐ-इंतज़ार समां सा बंधता नज़र आता है फिर एक स्याह रात ढलती है दिन ये भी गुजर जाएंगे तेरे इंतज़ार में मंजीलें तय कर चुके ज़िन्दगी हुई बेज़ार इश्क हुआ …
नहीं आसां है दर्द से गुज़रना नहीं आसां है दर्द से बचना ये ढूंढ ही लेता है तुमको आशियाँ जहां भी हो तुम्हारा समंदर की लहरों में आसमां में उड़ते परिंदों से काएनात के हर कोने में दर्द तुम्हे ढूंढ ही लेता है घरोंदा कितना भी हंसीं बनाओ इश्क में चाहे जितने भी डूब जाओ …
गर कभी सुनो आह मेरी तो समझना मुझे तुमसे प्यार है गर कभी जुबां खामोश हो तो समझना मुझे तुमसे प्यार है गर मैं दर-ओ-दीवार को देखूं तो समझना मुझे तुमसे प्यार है गर रात में चाँद को देखूं तो समझना मुझे तुमसे प्यार है इश्क की अपने मैं क्या दास्ताँ कहूँ कि मुझे तुमसे …
तुझसे जुदा तो हूँ मैं पर तन्हा नहीं हूँ यादों में तेरी इस कदर मै डूबा हूँ ना गम-ऐ-तन्हाई की फुर्सत है मुझे ना तेरे जुदा होने का कोई गिला तुझसे जुदा तो हूँ पर तन्हा नहीं आलम-ऐ-तन्हाई से रूबरू नहीं हुआ तेरी यादों के समंदर में इस कदर मैं डूबा कुछ मंजर इस कदर …
ज़िन्दगी ऐ ज़िन्दगी ना जा हो के यूँ रुसवा हमसे ना जा साथ हमारा छोड़ के ना जा कि तेरे बिन क्या है ये जहाँ साथ मेरा छोड़ के ना जा बेरूख है ये ज़माना ना जा बेदर्द है ये समां ना जा सुख से गए हैं अश्क मेरे ना जा कि बिन तेरे लम्हात …
है ग़मगीन बहुत आलम-ऐ-ज़िन्दगी फिर भी कर रहे हम खुदा कि बंदगी कि खुशियाँ वो मेरे दामन में भर दे कि मुस्कराहट वो तेरे चेहरे पर भर दे गम के इस आलम में तो हम जी लेंगे ग़मों से भरे ज़िंदगी के कसीदे भी पढ़ लेंगे कि गर तुम एक बार मुस्कुरा दो ऐ हंसीं …
ज़िन्दगी में प्यार का प्यार में तकरार का तकरार में चाहत का चाहत में मोहब्बत का अपना ही एक सिला होता है मोहब्बत में जुदाई का जुदाई में दर्द का दर्द में चाहत का चाहत में ज़िन्दगी का अपना ही एक जज्बा होता है जज्बातों की इस महफ़िल में शुमार जब तुम्हारा खुमार हो तुम्हारे …
एक सफ़र तय किया हमनें ज़िन्दगी में एक तलाश फिर भी अधूरी सी है तू हिस्सा है हमारी ज़िंदगी का फिर भी तुझसे ये मुलाक़ात अधूरी है जान कर भी तुझे जान ना पाए हम तुझे चाह कर भी समझा ना पाए हम एक मंजिल तय की हमें तुझे पाकर एक मंजिल अभी तय करनी …