Poem – Urdu

मुलाक़ात

मुलाकातों का सिलसिला तो इस कदर ही होता हैमिल कर भी ना मिलना अपना नसीब होता हैबातों के सिलसिले में जब जिक्र उनका होता हैतो उनसे मुलाकात को, दिल और भी बेचैन होता है||

दिल तन्हा है

आज फिर दिल तन्हा है तेरे साथ भी तन्हा तेरे इन आंसुओं में डूबा फिल आज फिर तन्हा है जाने जैसे तुझे बताऊ कि तेरे इश्क में सराबोर दिल आज फिर तन्हा है तेरे साथ को तरसता  दिल आज फिर तन्हा है कैसे तुझे मैं यकीन दिलाऊं  कि हर पल मैं तुझे चाहता हूँ तेरे …

ख्वाबों की परी

चलो जो दो कदम साथ मेरे तुम्हारे साथ से प्यार हो जाए थामो जो प्यार से हाथ मेरा तो अपने ही हाथ से प्यार हो जाए रात को जो आओ ख्वाबों में तो उस रात से हमें प्यार हो जाए जिस बात में आये ज़िक्र तुम्हारा तो उस बात से प्यार हो जाए क्या कहें …

सिर्फ तुम

ज़िन्दगी में देखी तिजारत बहुत बहुत देखी बेवफाई ना कोई उम्मीद थी कहीं ना था हमारा कोई सपना दर दिन तरसते थे  खोजते थे हम अपनी ज़िंदगी ना कोई और हसरत थी ना थी उम्मीद-ऐ-वफ़ा कोई दिन बीते, बीते महीनो साल ना हुई ज़िंदगी फिर भी बहाल भटकते रहे दर दर हम यूँही ना हुई …

लम्हात

आने से उनके कुछ लम्हे बदल से जाते हैं उन लम्हों में हमारी ज़िंदगी बदल सी जाती है चंद उन लम्हों की खातिर जीते हैं  कि उन लम्हों में हमारी कायनात बदल जाती है  जिन लम्हों में उनका साया नसीब होता है  उन लम्हों में हमारी तकदीर बदल जाती है  हसीं हर जर्रा हर खिजाब …

खुराफात

दिन आज निकला है कुछ अजीब  भूल सा गया हूँ मैं अपनी तहज़ीब  दिल करता है कुछ ऐसा करूँ  कि साथ तेरे कुछ खुराफात करूँ  अपनी मशरूफियत में तू मुझे भुला ना दे  आज मैं कुछ हरक़त ऐसी करूँ  दिल में तेरे जज्बा मेरा बना रहे  आज मैं खुराफात कुछ ऐसी करूँ  ना जाने किस …

बात तुम्हारी

बात जब तुम्हारी आती है  मुझे हर बात वो प्यारी लगती है  नाराज़ भी गर तुम होती हो मुझे फिर भी प्यारी तुम लगती हो जाने अनजाने में हर वक़्त तुम सिर्फ प्यार करना जानती हो शर्मोहया के लिहाफ से भी तुम सिर्फ प्यार का पैगाम भिजवाती हो ज़िंदगी के हर पल हर लम्हे में  …

रात का आगोश

आज की शाम बेइन्तेहाँ परेशान है इंतज़ार हमें रात के आगोश का है अधूरे लम्हातों से हम गुज़र चुके दिल में अब उनका कोई मोल नहीं चाहत है बस अब रात के आगोश की सर्द हवा के झोंकों में लहराती जुल्फों की ना अब कुछ अधूरा है ज़िंदगी में ना हमें किसी और की तलाश …

तेरा आना

कितने आंसू कितने दर्दभरे ज़िंदगी ने मेरे दामन मेंना कोई हिसाब है इनकाना ही है ज़िंदगी को गुमां जाने किस कदर बीते वो पलजाने कौन घड़ी हुए वो रुखसतकि हमें यह गुमां भी ना हुआकि जाने कब बीत गए बरसों दर्द भरे दामन में ज़िंदगी केतन्हाई बसर जो करती थीकि मानो बुला रही वह मौत कोकि जैसे फैला …

भारतीय वायुसेना को नमन – Dedicated to Indian Airforce

 नभःस्पृशं दीप्तम् ————————————————————- आसमां की ऊँचाई से ना वो डरते हैं ना आसमां की ऊँचाई में वो खोते हैं वो तो सिर्फ आसमां की ऊँचाई को छू देश की रक्षा में ज़िंदगी कुर्बान करते हैं नहीं डरते हैं ऊँची तन्हाइयों से ना ही डरते हैं परिन्दो से ऊँचा उड़ने से ना उन्हें खौफ है दुश्मनों …