Poem – Urdu

गरीब

दौलत से तो हूँ मैं गरीबपर हूँ खुदा के इतना करीबजानता हूँ क्या है इंसानियतपरख लेता हूँ मैं हैवानियत दो गज ज़मीन पर सोता हूँदो जून रोटी से गुज़रा करता हूँमहंगाई मुझे क्या सताएगीमैं तो अपनी ही किस्मत का मारा हूँ सर्द हवाओं के झोंकों मेंदर अपने बंद करता हूँबरसात की बूंदें ना आएयह सोच …

इल्तेज़ा-ऐ-ज़िन्दगी

वक़्त ने किये जो सितम सहते आए हैं हम ज़िन्दगी ने दिए जो गम भूल ना पाएंगे हम खलिश सी है इस दिल में नाम-ऐ-मोहब्बत की खुमार है हमारी ज़िन्दगी में गम-ऐ-जुदाई का आए हो जो तुम ज़िन्दगी में दिल में है जागी एक ख्वाहिश ना बेआबरू करना हमें तुम ना सरे राह छोड़ जाना …

आशियाँ हमारा न लुटाओ

अन्दाजें बयान गर सुना चाहते हो तो ज़रा अपनी नज़रें झुका कर सुनो अंदाजे बयान गर चाहते हो तो आवाज़ ज़रा नीचे कर बोलो सैलाब शब्दों का ना उठाओ  कि कहीं मंजिल तुम्हारी ना ढह जाए चिलमन जनाज़े का ना उठाओ कि मोहब्बत तुम्हारी बेगैरत ना हो जाए बयान गर कुछ किया चाहते हो तो …

शुक्रगुज़ार हैं खुदा के

जाने क्या बात हुई जब उनसे नज़रें चार हुई अजब सी बेचैनी थी दिल में जब उनसे मुलाकात हुई ना जाने क्यों दिल में कसक उठी मानो बरसों की तड़प जाग उठी ना जाने क्यों दिल उदास हुआ ना जाने क्यों ये निराश हुआ पूछा जब हमने दिल से तो कहा कुछ यूँ उसने कि …

आज की शाम

आज की शाम फिर उदास है मन में आज एक प्यास है क्यों ज़िन्दगी में ये, क्योंतेरे बिन दिल उदास है ना जाना मुझे छोड़ अकेलारहना साथ मेरे तू हमेशाना तेरे बिन है ज़िन्दगी पूरीहै ये दुनिया बिन तेरे अधूरी आज की शाम फिर उदास हैदिल में दबी एक प्यास हैज़िन्दगी में अब तेरा ही …

वो लम्हात

याद हैं मुझे वो लम्हात जब हुआ था दीदार तेरा क्या हंसीं पल था  क्या हंसी था मंज़र चहरे पर तेरे उडती वो लट आँखों में मेरी मौजूदगी का सवाल हाथों में उन चूड़ियों की खनक होठों पर तैरती एक मुस्कराहट वो मंज़र वो पल वो लम्हात  बस गए हैं दिल में मेरे दिया तेरी …

चाहत

पहली तारीख को हुई पहली वो मुलाक़ात दिल में बहार आई कि अभी जवान होगी रात फिलहाल तो दिल कर रहा है मेरा इंतज़ार कि कब आएँगे बनके वो मेरे जाने बहार कैसी है ये शिद्दत कि कब बीतेंगी ये घड़ियाँ जाने कब आएगी वो तोड़ ज़माने की कड़ियाँ जाने कब वो थामेगी मेरा हाथ …

इंतज़ार-ऐ-पैगाम

बहुत इंतज़ार किया उनके पैगाम का पैगाम आया भी वक़्त गुजरने के बाद हसरतें बहुत जागी उनसे मिलने की वो आये भी तो मय्यत निकले के बाद ना जाने बेरहम वो किस कदर हो गए हमारे इश्क को बेगैरत कर गए ना जाने मगरूर किस खुमारी में हुए कि हमारी चाहत को जार जार कर …

यादें पुरानी

बैठा तन्हा दिल की किताब खोलकर पलट रहा हूँ कुछ पन्ने उसके कुछ यादें पुरानी आयी सामने मेरे कुछ तसवीरें फिर आई नज़र  उन तस्वीरों में कहीं दबी है  उन यादों में कहीं दबी हैं एक याद, एक तस्वीर तुम्हारी कसक जिसकी जवाँ है इस दिल में यादें जो जुडी हैं तुझसे  पल वो जो …

सिला

करते रह गए हम वफ़ा उनसे  कर गए वो ज़फ़ा हमसे  ना उफ़ निकली हमारी जुबां से ना हमने कभी किया गिला उनसे कि करके वफ़ा मिली उनसे ज़फ़ा सिला मिला ये हमें हमारी मोहब्बत का नाशुक्रे बनकर वो हमें बेज़ार कर गए बेजुबान बन हम बस देखते रह गए हम ख्वाब यह देखते रह …