लम्हात उस शाम कुछ अजीब थेअफ़सुर्दा उन लम्हात में हम थेमुलाक़ात कुछ उन लम्हात में हुईजिंदगी जब हमसे रूबरू हुई मंज़र-ऐ-उल्फत में जो मुलाक़ात हुईजिंदगी चंद सवालात हमसे यूँ कर गईकि ना कोई जवाब था हमारे पासना हमें इल्म उनके जवाबों के वजूद का चंद सवालात ऐसे पूछे जिंदगी नेकि मेरा वजूद सिहर उठामेरा वजूद …
जिंदगी के रंग देखे जिस कदरखून-ऐ-जिगर सूख गयारिश्तों की टूटती डोर देखकरआंसुओं का बाँध टूट गया ज़िंदगी के बिखरे टुकड़े बंटोरतेहाथों का रंग सूख गयाराह के कांटे हटातेचेहरे का नूर सूख गया जिंदगी में अपने जज्बातों को समेटतेयादों का बसेरा खो गयाघर अपना बचाने निकला था मैंराह में अपनी हस्ती भूल गया चाह कर भी …
जगजीत साहब की गज़ल की दो पंक्तियाँ अभी याद आई –सच्ची बात जो कही मैंने,लोगों ने सूली पर चढ़ाया इसी पर कुछ पंक्तियाँ मेरे जेहन में भी आयीं – सच कहने की सज़ा पाते हैं झूठ की इस दुनिया में हम जीते हैं किससे कहें हम अब दिल की बात जिससे कहते हैं वो हँसते …
जिंदगी तमाम गुज़र गई तेरे प्यार में हर रात गुज़र गई अब बैठे हैं उम्र के उस कगार पर जहाँ तेरी याद की कसार रह गई ना तू हा ना तेरा साथ है दूर दूर तक बस तन्हाई का साया है ना जाने ज़िंदगी की राह में किस मुकाम पर तू चली गई राह तकते रह …
हाथों में जिंदगी का सपना लिए निकले थे हम जहाँ में सफर हम तय करते गए मंजिल की तलाश में सफर में मिले राहगुजर भी बहुत दिल्लगी में हुई साथ उनके दिलजले भी बहुत मिले मंजिल की तलाश में मुकाम बहुत से आये राह में मंज़र भी हुए बहुत अजीब से पर हम सफर में …
जिंदगी से दूर जिंदगी को रुखसत करने चला हूँ मैं आज तेरी दुनिया से दूर चला हूँ मैं खुश रहे तू, आबाद रहे तेरी दुनिया अब और नहीं चाहत, तुझसे जुदा हो चला हूँ मैं चाह कर भी तेरे साथ ना चल सका ख्वाहिश थी पर तुझे ना पा सका कोशिश थी मेरी कि हासिल …
दिल में ले कर फ़रियाद हम तेरी राह पर निकल पड़े हैं खुदा की दर पर उसके टेक के माथा इबादत में मांगेंगे तेरी खुशियाँ दुआ है अब तो ये मौला से कि मान ले अब वो आरज़ू तेरी बहुत जद्दोजहद की तुने जिंदगी में अब तो अमन की जिंदगी दे मौला तुझको फ़रियाद तेरी …
आज नहीं फिर कभी मिलना हमसे अकेलेआज नहीं फिर कभी कर लेना हिसाब हमसेलफ्ज़ नहीं हैं आज हमारे पास बयां करने कोफिर कभी सुन लेना बेवफाई का सबक हमसेआज नहीं फिर कभी कर लेना हिसाब हमसेकि नहीं है पैमाना आज दर्द का पास हमारे ना जाने क्यूँ जिंदगी में हम यूँ जीते आये हैंना करना …
जब कभी सोचता हूँ में तुम्हारे बारे में बस खो सा जाता हूँ तुम्हरे ही ख्यालों में ना जाने क्यूँ फिर ख़्वाबों में तुम हो होती हो ना जाने क्यों लबों पे तुम्हारा ही नाम होता है कि आज ना तुम हो ना ही तुम्हारा पैगाम फिर भी क्यों आब-ऐ-तल्ख़ पर नाम तुम्हारा है कुछ …
हम जिंदगी की तलाश में जिंदगी को खो बैठेनिकले थे प्यार की तलाश में, खुद को ही खो बैठेअज़ाब-ऐ-इश्क से दूरखुशियों को तलाशते थेआज हम खुशियों से दूर हो गएतलाश-ऐ-जिंदगी में जिंदगी से दूर हो गए लबों पर लेकर तेरा नामख्वाब में करके तेरा दीदारना हुआ ये एहसास हमेंकि दर्द दिल में दर्द का सैलाब …