Poems – Hindi

कोमलाँगी

गरज बरस मेघा सी क्यों लगती हो चमक दमक बिजली सी क्यों चमकाती हो क्यों काली घटाओं सा इन लटों को घुमाती हो क्यों अपने नेत्रों से अग्निवर्षा करती हो अधर तुम्हारे पंखुड़िया से कोमल हैं जो उन अधरों से क्यों घटाओं सी गरजती हो नेत्र विशाल कर माथे पर सलवटें क्यों माश्तिष्क से विकार …

सफलता के साधक

क्या तुम सोचते हो क्या चाहते हो कभी किसी कदम पर क्या पाते हो जीवन के पथ पर किस और जाते हो हर पल जो करते हो वही पाते हो अथक प्रयन्त कभी निरर्थक नहीं होते फल की आशा से कभी स्वप्न नहीं बुनते निरंतर प्रयास ही सफलता का साधन हैं असफलता के द्वार कभी …

जीवनसंगिनी

धरा की धरोहर सा संजोया जिसे अंतर्मन में बसा आत्मा बनाया जिसे स्वयं को छोड़ अपनाया जिसे तुम्ही हो अर्धांगिनी मैंने बनाया जिसे परमात्मा के परोपकार से जो मिली धर्मात्मा के आशीर्वाद से जो मिली अग्नि के साक्ष्य में जो मिली वही हो तुम तो मेरी जीवनसंगिनी बनी कहीं तुम्हारी सफलता ही है लक्ष्य मेरा जीवन द्वंद्व तो …

अंतर्मन की ज्वाला

अंतर्मन में बसी है जो ज्वाला ढूंढ रही है बस एक मुख इतने वर्षों जो पी है हाला बन रही है अनंत दुःख नागपाश नहीं कंठ पर ऐसी जो बाँध दे इस जीवन हाला को प्रज्वलित ह्रदय में है ज्वाला ऐसी बना दे जो हाला अमृत को ज्वाला जब आती है जिव्हा पर अंगारे ही …

जीवन द्वंद्व में लीन

जीवन द्वंद्व में लीन है मानव  ढूंढ रहा जग में स्वयं को  नहीं कोई ठोर इसका ना दिखाना  दूर है छोर, ढूंढने का है दिखावा  नहीं किसी को सुध है किसी की  अपने ही जीवन में व्यस्त है हर कोई  ढूंढ रहा है हर कोई स्वयं को  छवि से भी अपनी डरता है हर कोई  …

मर्यादा में जीना सीखो

आनंदन नहीं दिखता इनको जो अफ़ज़ल पर रोए हैं राम इनको काल्पनिक दिखता बाबर इनका महकाय है रामायण इनकी है कहानी मात्र  किंतु शूर्पणखा एक किरदार है महिसासुर इनको खुद्दार दिखता दुर्गा नाम से इनका क्या पर्याय है राष्ट्र विरोधी कथनो और नारों में  दिखती इन्हें अपनी स्वतंत्रता है वन्दे मातरम के उच्च स्वर में …

मात-पिता

नैनो की भाषा ना समझ पाए  ना समझ पाए उनके कुछ संकेत अधरों से वो कुछ बोल ना पाए हृदय को हमारे छू ना पाए बढ़े थे जिस डगर पर साथ उनके उसपर झुककर उन्हे संभाल ना पाए एक छोर तक साथ चले वो हमारे उसके आगे हम उन्हें थाम ना पाए कुछ भाषा ना …

दम्भ में चूर ईश्वर

दम्भ प्राकृतिक है या प्रकृतिकैसे करें है कैसी यह शक्तिविचार विमर्श भी किससे करेंअपनी व्यथा कहाँ धरेंहर और यहाँ दम्भ है फैलाजीवन को क़र गया मटमैला जिससे पूछो दम्भ की औषधिजताता है वही दम्भ की विधिपंहुचा ईश्वर के भी द्वारकी प्रार्थना कर दम्भ का संहारदम्भ से भरा ईश्वर भी बोलामानव है तू बहुत ही भोला …

सिंगार

कोई बादर गरजे, कहीं बिजुरिया चमके  जब तेरा कंगना खनके  अंगना मेरा महके, चिड़िया वहां चहके  जब पायल तेरी छमके  झुमका तेरा मचाये शोर  बिंदिया तेरी उड़ाए निंदिया  अधरों पर तेरी गुलाब सी लाली  नैना जैसे हो काजर से काली  गजरे से तेरे उठी वो महक  ह्रदय भी उससे गया चहक  ना कोई बदरा ना कोई बिजुरिया  …

चैना

अजहुँ ना आये चैना, काहे बीती ये रैना बलम मोरे कहाँ खोये, सूनी बीती ये रैना  बोले पपीहरा, नाचे मयूर, कैसे बिताऊं मैं रैना हाय सुनी सुनी बिताऊं मैं कैसे ये रैना