नैनो की भाषा ना समझ पाए ना समझ पाए उनके कुछ संकेत अधरों से वो कुछ बोल ना पाए हृदय को हमारे छू ना पाए बढ़े थे जिस डगर पर साथ उनके उसपर झुककर उन्हे संभाल ना पाए एक छोर तक साथ चले वो हमारे उसके आगे हम उन्हें थाम ना पाए कुछ भाषा ना …
दम्भ प्राकृतिक है या प्रकृतिकैसे करें है कैसी यह शक्तिविचार विमर्श भी किससे करेंअपनी व्यथा कहाँ धरेंहर और यहाँ दम्भ है फैलाजीवन को क़र गया मटमैला जिससे पूछो दम्भ की औषधिजताता है वही दम्भ की विधिपंहुचा ईश्वर के भी द्वारकी प्रार्थना कर दम्भ का संहारदम्भ से भरा ईश्वर भी बोलामानव है तू बहुत ही भोला …
कोई बादर गरजे, कहीं बिजुरिया चमके जब तेरा कंगना खनके अंगना मेरा महके, चिड़िया वहां चहके जब पायल तेरी छमके झुमका तेरा मचाये शोर बिंदिया तेरी उड़ाए निंदिया अधरों पर तेरी गुलाब सी लाली नैना जैसे हो काजर से काली गजरे से तेरे उठी वो महक ह्रदय भी उससे गया चहक ना कोई बदरा ना कोई बिजुरिया …
अजहुँ ना आये चैना, काहे बीती ये रैना बलम मोरे कहाँ खोये, सूनी बीती ये रैना बोले पपीहरा, नाचे मयूर, कैसे बिताऊं मैं रैना हाय सुनी सुनी बिताऊं मैं कैसे ये रैना
कल्पना मेरी जीती है शब्दों में शब्दों से हूँ मैं खेलता कल्पना में नहीं जी सकता मैं जीता हूँ कल्पना अपनी शब्दों में जीवन कल्पना नहीं एक सच है कल्पना में जीना नहीं है मुझे शब्दों को पिरो मैं लिखता हूँ वर्णमाला से गीत बनाता हूँ शब्दों में मेरे एक सच है जीती है इनमें …
कलह अंतर्मन का कहता है मेरी सुन हृदयालाप कहे तू मेरी सुन मष्तिष्क में भी मचा है कोलाहल नहीं है स्थिर जीवन, पनप रहे उग्र विचार नहीं चाहता जीवन में कोई अल्पविराम नहीं चाहता कोई जीवन में स्थिर कोलाहल किन्तु जीवन फिर भी है अस्थिरजीवन में फिर भी है एक कलह हलाहल जीवन की मैं पी चुका कोलाहल फिर भी मिटा नहीं जीवन …
विमुद्रीकरण किस प्रकार चिंता जनक है कि विमुद्रीकरण की कतार में हुई मृत्यु एक राजनितिक पहलू बन जाता है बिना किसी पुष्टिकरण है पत्राचार का एक बन जाता है इन बुद्धिजीविओं से विनती है यदि तुम चाहते हो ऐसे ही विषय तो जरा ध्यान लगाना दक्षिण में कुछ वहां भी सिधार गए है अम्मा के …
आज की समय में कौन अपना है कौन परायाकैसे पहचान करें किसमे राम किसमे रावण समायाकैसे स्वयं को कोई चैतन्य करेजब भगवान का मोल भी यहाँ पैसों में धरेनहीं मिलता बिन माया के कुछ संसार मेंबिन माया अपने भी दिखाते हैं बेग़ानो मेंकैसे करे अब स्वयं को हम चैतन्यकि अब रहते हैं रिश्तों की क़ब्र …
मैं शिव हूँ, शिव् है मुझमें ये राष्ट्र मेरा शिवाला हाँ हूँ मैं शिव और शिव है मुझमें पीता आया हूँ बरसों से मैं हाला एक युग बीत गया तपस्या में फिर भी नरसंहार हुआ है एक युग हुआ मेरे आसान को फिर भी विनाश नहीं है थमता क्या भूल गए तुम मुझको यदि पी …
मधुकर को मधु पीने सेकभी मधुमेह नहीं होतामधुर भाषा में वार्तालाप सेकभी किसी को रंज नहीं होताकभी किसी के मुख परसच बोलने से रिश्तों के मायने नहीं बदलतेबदलते हैं तो केवलमानव के विचार विस्मित होने को मधुकर को मधु पीने सेकभी मधुमेह नहीं होताकहीं कभी झुकने सेमानव का कद छोटा नहीं होताहोता है यदि कुछ …