Poems – Hindi

हृदय पीड़ा

हृदय पर तेरे शाब्दिक बाण के घाव लिए इस संसार में यूँही भटकते रहते हैं हृदय में लिए तुझसे बिछड़ने की पीड़ा आज जीवन जीने की कला सीख रहे हैं तुम मरने की क्या बात कर रहे हो यहाँ कितने हृदय में पीड़ा लिए जीते है जीवन का हलाहल पी जीते है अपनो से बिछड़ने …

जीवन द्विविधा

कहने को बहुत कुछ थालेकिन सुनाते किसकोजिन्हें जीवन का आधार समझाउन्होंने हमें कभी ना समझा जिस दर पर आज हम हैंउस दर को खोलेगा कौनजिस राह हम चल रहे हैंउसपर राहगुज़र बनेगा कौन कहने को बहुत कुछ थाकिन्तु आज सुनेगा कौनकरने को भरोसा तो हैकिन्तु हमपर भरोसा करेगा कौन इष्ट को अपने हम पूजते हैंकिन्तु …

तू

तू जब गुलाब सी यूँ खिलती है मैं भँवरा बन वहीं मँडराता हूँ  तू जब जाम से छलकती है  मैं वहीं मयखाना बसा लेता हूँ तू जब कहीं खिलखिलाती है  मैं वहीं अपना घर बना लेता हूँ जीवन के लम्बे इस सफ़र में तुझे मैं हमसफ़र बनाए जाता हूँ तू भले अपना राग गाती है  …

पथिक

चला जा रहा अपने पथ पर अनभिज्ञ अपने ध्येय से जो मोड़ आता पथ पर चल पड़ता पथिक उस ओर विडम्बना उसकी यही थी न मिला कोई मार्गदर्शक अब तक केवल चला जा रहा था अज्ञानी एक पथभ्रष्ट सा हर पथ पर खाता ठोकर हर मोड़ पर रुकता थककर किन्तु फिर उठता चलता अज्ञानी एक …