Poetry

क्या घर मेरा बन जाएगा शिवाला

विष से भरा है आज मेरा प्याला  जीवन मंथन की है यह हाला  कटु है आज हर एक निवाला  विष से भरा है आज मेरा प्याला  कैसा है यह द्वंद्व जीवन का हर पल है जैसे काल विषपान का  कैसा है यह पशोपेश मेरा  हर ओर दिखता मुझे विष का डेरा   ना मैं शिव हूँ ना है …

नवरात्रों का त्यौहार

नवरात्रों का त्यौहार आया  माता का पर्व आया  घर घर अब बैठेगी चौकी  बारी है घट स्थापना की  चौक में पंडाल सजेगा  बीज शंख और ताल बजेगा  बजेंगे अब ढोल नगाड़े  खेलेंगे गरबा साँझ तले  माँ का आशीर्वाद निलेगा  यह सोच हर काज बनेगा  नव कार्यों की नीवं सखेंगे  हर किसी के सपने सजेंगे  नवरात्र …

नेताओं का धर्म

आज के नेताओं का धर्म क्या है  किसकी वो करते हैं पूजा  कभी हुई ऐसी जिज्ञासा  कभी उठा है कोई ऐसा प्रश्न  गौर करोगे तो जानोगे उनकी जात  राजनितिक अभिलाषा है उनका धर्म  करते हैं वो सत्ता की पूजा  नहीं पैसे से बढ़कर उनके लिए कोई दूजा  कोई बड़ा नहीं कोई छोटा नहीं  उनके लिए सर्व …

कलम आज फिर आमादा है

कलम आज फिर आमादा है  अपना रंग कागज़ पर बिखेरने को  रोक नहीं पा रहे हम आज कलम को  जो लिख रही हमारे ख्यालों को  ना जाने क्यों हाथ भी साथ नहीं  ना जाने क्यों कर रहे ये मनमानी  आज कलम फिर आमादा है  लिखने तो आवाज़ हमारी  हर पल सोचते हैं खयालों को रोकना  …

धधकती ज्वाला में खोया है हर कोई

धधकती ज्वाला में खोया है हर कोई  ना अपनों में ना परायों में पाया है कोई  दुःख की तपिश में आज जीता है हर इंसान  सुख की ललक में बन रहा वो हैवान  था वक़्त कभी जब अपनों में बैठा करते थे दुखों की ज्वाला पर अपनत्व का मलहम लगाते थे  था वक़्त कभी जब …

नदिया

अठखेलियाँ खाती नदी की धारा से  सीखा क्या तुमने जीवन में  क्या सिर्फ तुमने उसकी चंचलता देखी  या देखा उसका अल्हड़पन  कभी देखी तुमने उसकी सहिष्णुता  या कभी देखी उसकी सरलता  नदिया के प्रवाह में छुपी अपनी कहानी है  उसकी अठखेलियों में भी  छुपी जीवन की अटूट पहेली है  कैसी शांत प्रवृति से एक नदिया  …