जीवन पत्तों सा

पत्तों से सीखो तुम ज़िन्दगी का अफ़सानाजीते है वो तुम्हें देने को स्वच्छ वायुजीते हैं वो तुम्हें देने को फल और फ़ूलदेते हैं सारी उम्र वो दूसरो कोसूख कर भी वो करते हैं भला सबकापेड़ उनको भले ही झाड़ कर गिरा देंपत्ते फिर भी खाद बन पेड़ के ही काम आते हैंकुछ भी हो रिश्ते …

ज़िन्दगी की ज़ुत्सजु

ज़िन्दगी की जुत्सजु में हुआ है कमालज़िन्दगी को ही जीने की चुनौती दिए बैठे होज़िन्दगी की हर चाल तुम्हारे लिए हैऔर तुम उस चाल पर भी अपनी चाल लिए बैठे होक्या ज़ुल्म ज़िन्दगी तुमपर करेगी तुम खुद अपनी हार की माला लिए बैठे होज़िन्दगी से इस द्वंद्व में लड़ ज़िन्दगी सेतुम खुद अपनी असफलता संवार बैठे …

चंद प्रश्न और प्रार्थना

क्या तुम शान्ति नहीं चाहते? क्या तुम्हारे जीवन में नहीं कोई रस? क्यों तुम फैलाते हो आतंक? क्या यही है तुम्हारा धर्म? क्या नहीं चाहते तुम जीना? क्या नहीं चाहते लाना जीवन में नवरस? क्या तुम ईश्वर को नहीं पूजते? क्या तुम धर्मान्धता में हो डूबे? क्यों फैलाते हो तुम यूँ आतंक? क्या नहीं चाहते …

नादाँ परिंदे

दिल दहला देने वाली घटना पर अज़ाब-ऐ-अश्क भी सूख गए आँखों में नमी तो है  पर अश्क बह नहीं सके इतना दर्दनाक मंजर देख शब्द भी हलक में अटक गए होंठों पर लफ्ज़ आते आते  जुबां पर ही सहम गए नादां परिंदे आशियाँ से उड़े थे किसी पिंजरे में फंस गए निशाना बने किसी दरिंदगी …

अब तुम हमें जीने दो

और नहीं अब और नहीं  आतंक का साया और नहींजीना है अभी जीने दो हमकोइंसानियत का खात्मा अब नहीं धर्म के नाम पर ना करो अधर्मबेगुनाहो का ना करो यूँ क़त्लजीना है अभी हमें औरइंसानियत को न यूँ जाया करो बच्चो ने क्या बिगाड़ा था तुम्हाराक्या थी उनकी खतामासूम थे वो, अनजान गुनाह सेक्यों उनपर …

प्रश्नात्मक नारी स्वरुप

आशा की वो किरण बन कर आई थी तू  और ना जाने कैसे ज्वाला बन गई जीवन अन्धकार दूर करते करते ना जाने कैसे चिता प्रज्वलित कर गई मानसिक संतुलन को स्थिर करते करते ना जाने कैसे मानस को असंतुलित कर गयी कभी बालिका, कभी भगिनी, कभी माता, कभी भार्या इस काया में थी, कब …

उम्मीद्दों में जिए हम

उम्मीद्दों के सहारे जिए हम आज हमें नाउमीदी ने है घेरा दामन तेरा पकड़ कर जिए हम आज तेरे दामन की राह में है डेरा ना कोई उम्मीद है हमें आज ज़िन्दगी से ना ज़िन्दगी ने जगाई कोई उम्मीद बस मायूसी है छाई चारो ओर एक सन्नाटा है हमें सुनाई देता जहाँ में आये थे …