तेरी यादें

उडी जो जुल्फें तेरी मदहोश कर गईं मिली जो नज़रें तेरी गुमराह हमें कर गईं सांसों की तेरी महक हमारी तन्हाई ले गई लबों पर थिरकती मुस्कराहट हमें दिवाना कर गई ना अब दिल को चैन है ना रूह को है आराम यादें तेरी बन एक जज्बा हमारा इम्तिहान ले गई

कान्हा तू अपनी बांसुरी सुना

कान्हा तेरी बांसुरी सुना अपने लड़कपन की कहानी सुना कहाँ गोपियों संग तू खेला बिरज में कहाँ माखन चुराई तूने गोकुल में कहाँ तूने बालपन बिताया कान्हा तेरी बांसुरी सुना अपने लड़कपन की कहानी सुना अवतरित जो हुआ तू द्वापर में कहाँ तुने अपना बालपन बिताया कहाँ तुझे मैया ने आँचल में छुपाया काल कोठारी …

तेरे नैनो की भाषा

तेरे नैनो की भाषा जाने ना मेरे नैन तेरे नैनो की भाषा जाने ना ना जाने क्या कहते हैं तेरे नैना ना जाने क्या छुपाते हैं तेरे नैना मेरे अंतर्मन में मचा कोलाहल ना जाने क्यों चुप हो जाते हैं तेरे नैना जाने किस घडी में क्या कहते हैं ना जाने क्यों ये अकस्मात चुप …

सत्ता का सच

बहुत खुश हो लिएबहुत कर किया गुणगानकुछ दिन और रुक जाओउसके बाद करना बखान पंजा कसो, कमल उठाओया हाथी की करो सवारीसाइकिल से यात्रा करोया कहो झाडू की है बारी चाहे कुछ कर लो तुम जनतानहीं बदलना इस राष्ट्र का भाग्यजिस दल में तुम झांकोगेभ्रष्टों का ही अम्बार मिलेगा आज ये नेता देते करोडोपाने को …

बगुला भगत नेता

बैठ ताल किनारे दरख़्त सहारे देख रहा मैं मछरियों का खेला कैसे अठखेलियाँ वो करती कैसे एक एक दाने पर झपटती ऊपर शाख पर बैठ बगुला भी देख रहा था सारा खेला एक दांव में गोता लगा कर चोंच में भींच लेता मछरी क्षण भर के इस हमले से सहम सी जाती मछरिया गोता लगते …

कान्हा कान्हा पुकारूं

कान्हा कान्हा पुकारू मैं इस कलयुग में  द्वापर के युगपुरुष को ढूँढू मैं कलयुग में कह चला था कभी कान्हा “यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवती भारत अभ्युथानम अधर्मस्य तदात्मानं श्रीजाम्यहम” किन्तु आज नहीं आता नज़र कान्हा कान्हा पुकारूँ में  इस कलयुग में ढूंढूं तुझे आज में  पापियों भरे इस जग में अधर्मी आज हो चला …