Often wonder what is it is it an occupation for corruption is it a field for power consumption or is it a game of accusation Often wonder who engage in it are they the unemployed with no work are they the one’s who love to live in dark are they the one’s who love to …
लद्दाख में चीन की घुसपैठ पर कुछ पंक्तियाँ ——————————————– चीन से आया जो घुसपैठिया उसको लद्दाख में घर बनाए दो घर जो उसने बनाया वहाँ सरकार को बात करने दो अफसरों को और फौजियों को चुप रह सहने की सलाह दो नेताओं तो इसपर राजनीति करने दो बाबुओं को इसपर थोडा सोचने दो मंत्रीजी को …
ज़िन्दगी में प्यार का प्यार में तकरार का तकरार में चाहत का चाहत में मोहब्बत का अपना ही एक सिला होता है मोहब्बत में जुदाई का जुदाई में दर्द का दर्द में चाहत का चाहत में ज़िन्दगी का अपना ही एक जज्बा होता है जज्बातों की इस महफ़िल में शुमार जब तुम्हारा खुमार हो तुम्हारे …
Walking in the grass with my shovel I dug through life to find a vowel A vowel that would help get peace Reconstruct life from its every piece Rubbing off everything from life’s slate Search of love made me land in this state I always thought its never too late One can fight the destiny …
सरबजीत सिंह की मृत्यु ने देश तो झंकझोर कर रख दिया, और इसपर मेरे एक मित्र अनूप चतुर्वेदी ने एक कविता लिखी….जिसको मैं आपके लिए प्रस्तुत कर रहा हूँ| किन्तु उनकी कविता ने मुझे चंद पन्तियाँ लिखने पर प्रेरित किया, जो उनकी कविता के बाद आपके लिए प्रस्तुत हैं – अनूप चतुर्वेदी की कविता – …
कित जाऊं मैं तोहे ढूँढने कित जाऊं मैं तोहे पाने बीते जीवन के सब रैना छुपे हो कहाँ ओ मोरे चैना बिन चैना ये जीवन सूना सूनी बगिया घर भी सूना काट खाए मोहे बेचैनी भूली बिसरी है जीवन की कहानी ना जाने कहाँ खो गए तुम चैना ना जाने कैसे बदल गए ये रैना …
एक सफ़र तय किया हमनें ज़िन्दगी में एक तलाश फिर भी अधूरी सी है तू हिस्सा है हमारी ज़िंदगी का फिर भी तुझसे ये मुलाक़ात अधूरी है जान कर भी तुझे जान ना पाए हम तुझे चाह कर भी समझा ना पाए हम एक मंजिल तय की हमें तुझे पाकर एक मंजिल अभी तय करनी …
कासे कहूँ मैं अपनी विपदा कासे कहूँ मैं अपनी पीड़ा ममत्व तो ममत्व है कासे कहूँ मैं उसका महत्व माँ से मैं जुड़ा हूँ भावों में माँ से में करता हूँ अपनी बातें कासे समझाऊं तोहे मैं माँ से है मेरा अपना नाता का कहूँ तोसे मैं अपनी व्यथा ना तोहे समझनी ये गाथा माँ …
मुलाकातों का सिलसिला तो इस कदर ही होता हैमिल कर भी ना मिलना अपना नसीब होता हैबातों के सिलसिले में जब जिक्र उनका होता हैतो उनसे मुलाकात को, दिल और भी बेचैन होता है||
हो रही धरा की धरोहर जार जार स्त्री का हो रहा हस ओर बलात्कार सहिष्णुताहीन हो गया है ये संसार घृणा और पाप का लगा है हर ओर अम्बार हलाहल अपमान का पी रहे देव भी दानव कर रहे हर ओर राज सांसारिक मोह में लीं है मानव भी दे रहा दानवों को वो करने …