स्त्री के विचारों का उदगार

विगत दिनों में जो घटित हुआ,  उससे मन बड़ा ही आहत हुआ| चंद् विचार मन में ऐसी आये  कि एक कविता का सृजन हुआ  करती है कविता एक स्त्री के विचारों का उदगार कि हुआ कैसे उसके औचित्य का प्रचार…. _________________________________________________ माँ की कोख में सोती जब मैं जग मुझे चाहे मारना जब ले जन्म आऊँ …

खुराफात

दिन आज निकला है कुछ अजीब  भूल सा गया हूँ मैं अपनी तहज़ीब  दिल करता है कुछ ऐसा करूँ  कि साथ तेरे कुछ खुराफात करूँ  अपनी मशरूफियत में तू मुझे भुला ना दे  आज मैं कुछ हरक़त ऐसी करूँ  दिल में तेरे जज्बा मेरा बना रहे  आज मैं खुराफात कुछ ऐसी करूँ  ना जाने किस …

जीवन चितचोर

श्रृंगार कर जब तू आयी दुल्हन का  धड़कन थम गई मेरे ह्रदय की  लगा उस पल मानो थम गया था समय  रुक गया था श्रिष्टी का भी चक्र  लाल चुनर ओढ़े जो तुम खडी थी  दर पर सिमटी शरमाई सी  कोलाहल हुआ अंतर्मन में  हर ओर सुना मैंने बस एक ही शोर  रूपवती गुणवती खडी …

क्या यही है

तेरे नैनों की बोलियाँ तेरे अधरों की अठखेलियाँ नाम किसका लेती है  कि करती हैं किसकी ये खोज तेरे क़दमों की ये आहट  तेरे ह्रदय की घबराहट  नाम किसका लेती है  कि क्यूँ ये तुझे तडपाती हैं  क्या यही तपस्या है तेरी  क्या यही है तेरी प्रेमअगन  क्या यही है श्रोत तेरे अश्रुओं का  क्या यही है अंत तेरे …

चिड़िया

चिड़िया जब तुम चहचहाती हो मध्धम सुर में गाती हो सुर तुम्हारे जीवन संगीत सुनाते हैं कानों में प्रेम रस बरसाते हैं चिड़िया जब तुम चहचहाती हो  नील गगन में इठलाती हो गीत मेरे गुनगुनाती हो जीवन में प्रेम रस लाती हो चिड़िया जब तुम चहचहाती हो  ह्रदय में जीवन सितार बजाती हो सुर तुम्हारे नीवन …

बात तुम्हारी

बात जब तुम्हारी आती है  मुझे हर बात वो प्यारी लगती है  नाराज़ भी गर तुम होती हो मुझे फिर भी प्यारी तुम लगती हो जाने अनजाने में हर वक़्त तुम सिर्फ प्यार करना जानती हो शर्मोहया के लिहाफ से भी तुम सिर्फ प्यार का पैगाम भिजवाती हो ज़िंदगी के हर पल हर लम्हे में  …

तेरे आने से

तेरे आने से ये सहर महके तेरे आने से मेरा घर महके तेरे आने की खबर सुनकर मेरी ज़िंदगी का हर पल महके तेरे आने से आये ज़िंदगी में बहार तेरे आने से ज़िंदगी गाये मेघ-मल्हार तेरे आने से मेरा घर महके तेरे आने से ये सहर महके आये ज़िंदगी में रौनक और खुशियाँ कि तेरे आने …

कुछ लोग

कुछ लोग जो खुद को खुदा मानते हैं औरो को कुछ कम आंकते हैं उन लोगों की क्या बात करें जो धरती के सीने पर बोझ हैं कहीं कुछ बोलते हैं कहीं हैं कुछ करते सारी ज़िंदगी बस खुद की हैं सोचते जानते नहीं क्या खुदा है  खुद को खुदा मानते हैं दुनिया में सबके …