तुम

जीवन संध्या में मिली तुम  कुछ ऐसी सिमटी शरमाई सी कि छवि उतर गयी ह्रदय में तुम्हारी सादगी की कुछ ऐसी ज्वाला जली प्रेम की कि ह्रदय में अम्बार लगा तुम्हें जीवनसंगिनी बनाने को  मन मेरा मचल उठा छवि तेरी जो ह्रदय में बनी थी उसका जब श्रृंगार हुआ सात फेरों के बंधन में बाँध तुम्हें …

पिया तोसे

पिया तोसे कैसे कहूँ, मोरा जियरा धडका जाए मोरा तन मन में जागी तोरे प्रेम की अगन कैसे कहूँ तोसे की ना जा बय्याँ छोड़, जियरा धडका जाए परदेस जो चले तुम संग हमें भी ले चलना बिन तोरे लागे सूना मोहे ये घर ये अंगना जिया में मोरे बस तोरी बसी है आस ना …

रात का आगोश

आज की शाम बेइन्तेहाँ परेशान है इंतज़ार हमें रात के आगोश का है अधूरे लम्हातों से हम गुज़र चुके दिल में अब उनका कोई मोल नहीं चाहत है बस अब रात के आगोश की सर्द हवा के झोंकों में लहराती जुल्फों की ना अब कुछ अधूरा है ज़िंदगी में ना हमें किसी और की तलाश …

जीवन आस

जीवन जो कभी नीरस था जिसमें केवल एक दर्द था लगता आज फिर सुखमय है उसमें तेरे आने से एक आस है दर्द जो था सिने में दबा जिसमें थी एक जीवंत अगन आज वो अगन शांत है  ना उसमें अब एकांत है प्रेम की फिर है एक ज्वाला जली जीवन की फिर एक राह …

तेरा आना

कितने आंसू कितने दर्दभरे ज़िंदगी ने मेरे दामन मेंना कोई हिसाब है इनकाना ही है ज़िंदगी को गुमां जाने किस कदर बीते वो पलजाने कौन घड़ी हुए वो रुखसतकि हमें यह गुमां भी ना हुआकि जाने कब बीत गए बरसों दर्द भरे दामन में ज़िंदगी केतन्हाई बसर जो करती थीकि मानो बुला रही वह मौत कोकि जैसे फैला …