मंजिल-ऐ-जिंदगानी

तेरी तन्हाई में भी मेरा साया तेरे साथ हैगर नज़र उठाए तो देख मेरा अक्स तेरे साथ हैना तू कर गिला उनसे अपने गम-ओ-उल्फत काना कर तू शिकवा जिंदगी केदोराहे काउठ ऐ मुसाफिर तू चलाचल राह अपनीकि  तेरी मंजील तक ये बंदा तेरे साथ है शिद्दत से जिस जिंदगानी की तुझे तलाश हैउस मंजिल तक …

मौसम-ऐ-जज़्बात

मौसम-ऐ-जज़्बात में बहकर रिश्ते नहीं तोडा करतेअपनी ही जिंदगी की ज़मीन पर कांटे नहीं बोया करतेतूफानों से गुजारते हुए आँसमां नहीं देखा करतेज़मीन से गर जुड जीना है तो शाखों पे घरोंदे नहीं बनाया करते मौसम-ऐ-जज्बात  में बहकर रिश्ते नहीं तोडा करतेकाँटों  से गर डरते हो तो फूलों से नाते नहीं जोड़ा करतेतन्हाई से गर …

मानव धर्म

मानव के कोतुहल का कोलाहलनष्ट कर रहा आज धरा धरोहर कोदानव शक्ति में झूम रहा है वो आजकर रहा अशांति का तांडव नृत्य देवों की इस भूमि पर दास बना वो दानव काअपने ही हाथों से काल ग्रास बना रहा बांधवों कोभूल कर प्रकृति की प्राथमिकता कोभूल रहा है धरा पर संस्कृति की धारा को …

बन तू मेरी हीरिये

अभी अभी कुछ पंक्तियाँ  पढ़ी जिसमें हीर रांझे से बोलती है कि सब छोड़ मेरे पास आजा| वे पंक्तियाँ पढ़ कर मष्तिस्क में उन्माद हुआ और कुछ पंक्तियाँ कुछ इस प्रकार बनी – ना बिन तेरे जग मेरा हीरिये, ना बिन तेरे ये जीवन छोड़ के सब में आयूँ दर तेरे, ना बिन तेरे मुझे …

धरा की धरोहर

हरियाली की चादर ओढ़ेमहक रही है वसुंधराबादलों का वर्ण ओढ़ेथीरक रहा अम्बर भी नदियों में बहता पानीमानो गा रहा हो जीवन संगीतपांखियों के परों को देखमानो नृत्य कर रही अप्सराएं खेतों में लहलहाती उपजफैला रही सर्व खुशहालीसुंदरता की प्रतिमूर्ति बनप्रकृति कर रही अठखेलियाँ कितना स्वर्णिम है ये जगतजिसमें रहता मानस वर्गक्यों  आज व्यस्त है वोनष्ट …

दौर-ऐ-रुसवाई

खून-ऐ-जिगर से आह निकली है तेरीकि एक आस में डूबी जिंदगी है तेरीइबादत-ऐ-खुदा से कर तू राहगुज़रकि मंजिल तन्हाई की तुझे ना मिले कभी आब-ऐ-तल्ख़ में डूब ना सुना तू नगमेंकि हमने जिंदगी में और भी गम देखे हैंशिद्दत से तेरी आरज़ू लिए बैठे थे हमकि तेरी जुदाई का गम और भी है हर्फ़-ओ-लफ़्ज़ों में …

गम-ऐ-उल्फत

गर तुम कुछ ना कहते हमसेतो शायद ये दिल बैचैन होतागर तुम ना करते शिकवा कोईतो शायद ये दिल परेशाँ होता गर ना करते यूँ तुम हमें रुसवातो शायद ये दिल यूँ ना धडकतागर ना करते तुम क़त्ल हमारातो शायद ये रूह बेज़ार ना होती कैसे कहें तुमसे कि लफ्जात तुम्हारेहलक  से हमारी जान ले …