अभिव्यक्ति

मैं गरीब बोल रहा हूँऔर मैं विचारों से गरीब हूँमेरी गरीबी पैसों से नहींमेरे अव्यक्त विचारों से है बचपन में अपने मैंनेममता की गरीबी देखीउस  गरीबी से मेरेममत्व पर विचार  अव्यक्त हैं पाठशाला में अपनी मैंनेशालीनता की गरीबी देखीउस गरीबी से मेरेशालीन विचार अव्यक्त हैं महाविध्यालय में मैंनेविध्या की गरीबी देखीउस गरीबी से मेरे  कर्त्तव्य …

पैगाम

परेशाँ गर वो हुए रातों में जाग कर तो ये उनकी दीवानगी नहीं तेरी जुल्फों की क़यामत थीगर उसे तुझसे इश्क हुआ तो ये उसकी नासमझी नहीं थीथा ये तेरी अदाओं का गुनाह गर उन्होंने काटी ये रातें ख्वाबों में तो ये उनके ख्वाबों की ताबीर नहीं थी ये तेरी बेफवाई का सबूत ना हंस …

लक्ष्य

ढूंढता हूँ बहुत दिनों से मैंगहरे सागर में एक मोतीतपिश बहुत की है मैंनेजीवन  अपना सवारने की तपन  तो हुई बहुत मुझेगहन चिंतन मनन मेंदृढ़  निश्चय कर फिर भी चला मैं जीवन डगर पर अडचने बहुत सी आईंहुई बहुत सी द्विविधाकिन्तु अडिग रहा मैंअपने ही प्रयत्न में ना मुझे अब विजय की चाह है  ना …

दास्ताँ

आहट जो हुई दरवाजे परउनके आने का एहसास हुआजब नज़रें उठीं उनकी ओरउनसे ही निगाहें चार हुई कुछ ख़ामोश थी उनकी निगाहेंकुछ खामोश हुई हमारी नज़रएक लम्हा कुछ यूँ ही गुजाराखामोश निगाहों की गुफ्तगू में कदम उनके भी लडखडाएज़रा हम भी डगमगाएइश्क का ये सफरथा ही पथरीली राह में ना आह निकली उनकी जुबां सेना …

भ्रष्टाचार की विनती

ना दो मुझे यूँ ताने, ना दो मुझे गालियाँमैं खुद नहीं जन्मा, अंग्रेज मेरे जन्मदाता हैंबरसों से सत्ता के कमरों में कैद हूँचंद अफसरों का में एक सेवक हूँकूटनीति की चिकनी मिटटी से लिपातुम्हारे ही आलिंगन में सजी एक सेज हूँसदिओं के इस नाते को क्या ऐसे ही छोड़ दोगेएक अन्ना के कहने पर नाते …

एक गुजारिश

नज़र अंदाज़ करना तो एक बहाना हैकिसी को नज़रों से गिराने का गुनाह हैयादों के चिलमन से उनको देखोउनके साथ बिठाये उन लम्हात को देखोक्या सितम कर बैठे हो तुम उनपरजिंदगी से अपनी उन्हें निकाल करबढ़ा कदम जरा उन्हें आगोश में लोअपनी जुल्फों के साये में उनको अमन दोजरा उस गुज़ारे लम्हात को जीना सीखोउनकी …

कुछ सवाल

रात के अंधियारे में क्या खुद से डरते हो क्या उन सन्नाटों में अपनी धडकन से डरते हो तोहफा हमारा तो एक खुली किताब था जिंदगी के अंजाम सा एक खुला आसमान था ना जाने यूँ तुमने सौगात को सजा समझा ना जाने क्यूँ तुमने वफ़ा को इश्क समझा हमनें तो साथ निभाने का वादा …

मेरी यादें

आज कुछ यादें ताज़ा कर रहा हूँवो  यादें जो मेरी अपनी हैंवो यादें जो मेरे जेहन में हैंवो यादें जो मुझे धोका नहीं देंगीवो यादें जो मुझे कभी नहीं छोडेंगीवो यादें जो मेरी तन्हाई की साथी हैंवो यादें ओ तेरी बेवफाई का कलाम हैंवो यादें फिर भी मेरी अपनी हैंवो यादें वो बेवफा नहीं हैंआज …

इश्क का कलमा

एक  सवाल कुछ ऐसा मन में आया –  प्यार की गर इतनी चाह है तो तू खुद से प्यार कर इतनी ही गर तड़प है तो खुदा से तू प्यार कर ना कर प्यार की गुज़ारिश तू इस इंसान से इसने तो खुदा को ना बक्शा, तेरी बिसात क्या है ____________________________________ कुछ  सोच बदली तो …