अक्स-ऐ-जिगर

अक्स बयां ना कर अपने जिगर का कुछ तो ख्याल कर अपने इश्क का यूँ बेगैरत कर बेजार ना कर यूँ  बयां कर दर्द उजागर ना कर तेरी जिंदगी पे कुछ निशाँ उसके भी हैं जो रूह को छू निकला है तेरे दर्द जो भर गया दामन में तेरेसर्द  एक अंदाज दे गया तेरी आँखों मेंना …

व्याकुल मन

भोर भई सूरज उंगने को हैपर ये व्यथा कैसी ह्रदय में हैनींद नहीं आँखों मेंचंचल चित भी चिंतित है कोई तो पीड़ा है इसेव्यक्त नहीं करता उसेनिद्रगोश में जाने सेक्यों व्यर्थ व्याकुल है मनन चिंतन भी अब व्यर्थ हैकठिन अब दिवस व्यापन हैघनघोर पश्चाताप को व्याकुलनिराधार ये पागल है ना समझ है ये ना सुनता …

राहगीर तू चला चल

समय के साथ राहगीर तू चलाचलअडचने बहुत आएंगी जीवन मेंलेकिन तू थाम अपनी दांडीराह पर चला चल बस चला चल विजय होगी जो तेरी, तेरी ही है हारहवा के झोंके सा बस पतझड़ का लगा अम्बारजीवन है एक कठिन परीक्षा का नामलेकिन तू बस चला चल बस चला चल

गुजारिश – ऐ – बंदगी

एक  अरसा हुआ कि हमारी एक अज़ीज़ दोस्त ने कुछ लफ्जात लिखे और हम उन्हें पढ़ ग़मगीन हो उठे थे…. लेकिन आज जब फिर पढ़ा उनका वो कलाम, तो दिल से निकले कुछ लफ्ज़, ये कलाम है उस दोस्त को सलाम और है उनको हमारा एक पैगाम…. गम का खजाना अंखियों में छुपा बैठे होइस …

यादें

यादों की कश्ती में सवार जब हम बातों की पतवार से सफर की कगार पर पहुंचते हैं तो कुछ नगमें यूँ बनते हैं जैसे कुछ लम्हों पहले हमारी एक शायरा दोस्त से बातें करते हुए बने| जी हाँ बात बात में उन्होंने कुछ इस तरह कहा – अब उदास होना भी अच्छा लगता हैकिसी का …

सिलसिला-ऐ-मुलाक़ात

नगमों का गर कभीं कोई दर्द समझे,गर कोई उनकी रूह को समझे,तो एक पयाम निकलता है कुछ इस कदर,कि कायनात में जैसे चाँद निकले बादलों में छुपकर| कल जो हमनें कलाम लिखा था, उसपर हमें मिला हमारी हसीन शायरा का पैगाम, पैगाम में था उनका कलाम जो हमनें थोडा और पढ़ा और थोडा और उसे …

मुलाक़ात

सोचा ना था इस कदर यूँ मुलाक़ात होगीतेरी यादों में यूँ तन्हा शाम-ओ-सहर होगीइन्तेज़ार में हाल-ऐ-दिल का क्या गिला करेंइन्तेहाँ है कि बेसब्र दिल अब भी तेरा नाम लेयादों में तेरी यूँ शाम-ओ-सहर ग़मगीन हैकि तन्हा हम ना कभी ग़मों के साए से हुएयादों में तेरी जो दर्द-ऐ-मुरव्वत से रूबरू हुएसर्द हवा का झोका जो …