अभिलाषा

का कहूँ छवि तिहारी,  जित देखूं उत् दीखेई जो मैं सोचूं नैना बंद करके,  मन वर जोत जले निद्रागोश में, स्वप्न में भी,चहुँ और जो दीप जलेना दिन में चेइना न रात में चेइनाबस चहुँ और तू ही तू दीखेईबस कर नखरा और न कर ठिठोलीआ बना मेरे अंगना कि तू रंगोलीभर तू रंग मेरे …

जीवन बरखा

क्यूँ करते हो ये शिकवाकि थोडा और बरस लेने दोजीवन की प्यास बुझने दोमझधार में ना यूँ कश्ती छोडोकि किनारे तक मुझे खेने दोडूबने का डर नहीं मुझेना ही जीने की है तमन्नासोचता हूँ गर कभीतो देखता हूँ तेरा ही सपना

हाल-ऐ-मशरूफियत

कुछ तुम मशरूफ, कुछ हम मशरूफ,कि वक्त ना मिला यूँ गुफ्तगू काकुछ तुम तन्हा कुछ हम तन्हा,कि वक्त न मिला तेरे दीदार का क्या गिला करें क्या करें शिकवा कि हमको हमसे रूबरू होने का वक्त नहीं

कलम कि बेवफाई

दिल का दर्द कलम से उतर कागज पर बह गयाबहते बहते वो कागज़ पर एक स्याह लकीरें छोड़ गया इन लकीरों में जिंदगी की चुभन थी बीतें उन तन्हा लम्हों की सिमटन थीसोचा न था कि कलम यूँ बेवफा निकलेगीहमारे ही दर्द को हमारी आँखों के सामने रखेगीसोचा न था हमारे शब्द यूँ बेगार होंगेबेरूख …

अश्रुमाला

अश्रु जो बहे मेरी आँखों सेकह गए मेरे ह्रदय की गाथाजिस पथ चले वो पी कर हाला पिरो गए मेरी व्यथा की मालासंजों कर रख सके इसेनहीं मिला जग में कोईअश्रु जो बहे मेरी आँखों सेकह गए मेरे ह्रदय कि गाथाना तू मेरी ना ये जग मेरायही मेरे जीवन का फेराशुन्य बन गया ये जीवन …

हाल-ऐ-दिल

हाल-ऐ-दिल कुछ यूँ बेसब्र हुआकि तन्हाई में कुछ यूँ बेजार हुआलौट आई कुछ यादें पुरानीयाद आई वो देफवाई तुम्हारीहोकर रह गई है सिफर सी जिंदगी नहीं आसाँ इश्क की बंदगीभूलना चाह कर भी भूल ना पाएकुछ यूँ कौत के आये मिहब्बत के सायेतिस सी उभर आयी कुछ यूँ सर्दमहसूस हुआ कुछ मुझे जुदाई का दर्दएहसास …

जिंदगी

गुनगुनाती सी कुछ यूँ आई मेरे सपनो मेंउसकी वो चहल कर गई घर इस दिल मेंसोचते हैं कि गर वो चली गयी जिंदगी सेकिन मायूस लम्हों से गुज़रेगी बेराग जिंदगी कि उसके ख्वाबों खयालों में खेली ये जिंदगीबिन उसके बीते यूँ इसके उदास पल राहे तन्हाई मेंतकल्लुफ बड़े उठाये यूँ बेपनाह मोहब्बत करकि हमें सिला …

आलम-ऐ-मोहब्बत

आँखों के नशेमन से से जाम पिलाना चाहते हो होठों से अपने जो पैगाम देना चाहते होदुनिया से बचाकर जो जुल्फों में घेरना चाहते होआज हिज्र के आलम में ये रुख किये जाते हो बेसब्र क्यूँ हो इतना तन्हाई के डर सेक्यूँ थम जाते हैं कदम तुम्हारे खुदा के दर पेक्या है जो यूँ इल्तेजा …