खुशी – खुदा की नेमत

खुशी ना ढूंढ तू अपनी किसी तमन्ना मेंकि दर्द ही मिलता है इस गली जाने सेना कर तू रोशनाई को इस कदर परेशाँकि हो जाए स्याह ये खून तेरे जिगर काखुशी ढूंढनी है गर तुझे कहीं ऐ बंदे तो जा तू खुदा के घर उसकी इबादत मेंखुशी गर तुझे मिलनी है कहीं ऐ बंदेतो जा …

आशियाँ

तिनका तिनका जोड़ आशियाँ यूँ सजाना ना हो कोई रुसवा न रहे कोई कहीं तन्हा ख्वाबों को भी कुछ इस कदर सजानाकी आँखों की राह ना टूटे दिल का अफसाना  ऐ राहगुजर, राहगीर में ना ढूंढ हमसफ़रकि राह से यूँ  बेगार बेवजह ना गुजरजीना मरना तो इस कायनात का खेल हैइसे तू अपनी आह से …

घरोंदा

रे मनवा न सुन तू इस जग कीबना घरोंदा बुन इन तिनको कोनहीं व्यर्थ होगा परिश्रम तेरा नहीं कोई इसमें समय का फेरा प्रेम न तू अपने स्वप्न से करकि स्वप्न तो आते हैं अंधियारे मेंरे  मनवा बना घरोंदा तू तिनकों सेऔर पा फल तू अपने परिश्रम से भटक न होकर निराश हार सेकि पथरीला …

बेपरवाह

यादें गर खामोश कर जाती तो न होता ये दिल बेचैनना होते रूबरू इस कदर गम-ऐ-जिंदगी सेशामों तन्हाई ना करती इस कदर गुफ्तगूंना  होती जिंदगी में गहरी ज़ुत्सजु वादे उनके यूँ बेसब्र ना कर जातेगर बातों में उनकी शान-ऐ-वफ़ा ना होतीबातें उनकी जो आती है याद तुम्हेंसाबित  कर जाती हैं ईमान उनका कुछ थे वो …

मौसम-ऐ-जज़्बात

मौसम  तो है वही पुराना लौट आई पुरवाई भी ना जाने क्यूँ लगता है की हो तन्हाई और वो नहीं सोचने पर हम मजबूर हुए, पूछा हमने खुदा से भी समझ न सके ये दुरियाँ, यादों के साये में भी इन्तहा लगती ये आरज़ू-ऐ-इश्क की है कि आरज़ू की है ये जूत्सजू  ये दिल डूबा …

The Poetic Communication

What a friend wrote –_______________________________________________________ Well I’ve been saved by the grace of Southern charmI got a mouth like a sailor and yours is more like a Hallmark cardAnd if you wanna pick a fightWell I’m gonna have to say goodnightI don’t have to be hateful, I can just say bless your heart……I’ll keep drinkin’And …

आँखों की ये भाषा

शब्दों के मर्म को समझो यही किताबों की भाषाआँखों के भाव को समझो यही उनकी अभिलाषाजानना किसीको नहीं है इतना कठीनचेहरा उनका सब बोलता है आँखों के अधीन लिखता नहीं मैं यूँ ही ये पंक्तियाँइनमें ही में भाव व्यक्त करताशब्दों को जो तुम पढते, समझो उनके मर्म कोआँखों में जो तुम देखते, समझो उनके कर्म …

आँखें

कि हया शर्म लाज लज्जा है तो इन आँखों मेंपर कहीं गहराई में छुपी है किसी कि खामोशीदुनिया को दिखती है सिर्फ इनकी मासूमियतकि छिपी है कहीं इनमें कोई सच्चाई है तो कुछ गहराई इन आँखों मेंकि दिल का दर्द इनमें सिमट आता है कुछ तो है इन आँखों मेंकि होठों कि मुस्कान तक दबा …