ता ज़िन्दगी मैं सुनता रहा

ता ज़िन्दगी मैं खामोश रहाखामोश दर्द में जीता रहाक़ि सोचता था कभी ज़िन्दगी मेंमैं हाल-ए-दिल बयां करूँगा सुनते सुनते होश खो गएहाल-ए-दिल बयां ना हुआदर्द अपनी हद से आज़ाद हुआफिर भी शब्द जुबां पर ना आए आज सोचा था मेरे अपने होंगेजो मुझमें एक इंसां देखेंगेशायद वो मुझे समझेंगेकभी बैठ साथ मेरी सुनेंगे जब प्लाट …

जीवन द्विविधा

कहने को बहुत कुछ थालेकिन सुनाते किसकोजिन्हें जीवन का आधार समझाउन्होंने हमें कभी ना समझा जिस दर पर आज हम हैंउस दर को खोलेगा कौनजिस राह हम चल रहे हैंउसपर राहगुज़र बनेगा कौन कहने को बहुत कुछ थाकिन्तु आज सुनेगा कौनकरने को भरोसा तो हैकिन्तु हमपर भरोसा करेगा कौन इष्ट को अपने हम पूजते हैंकिन्तु …

कहानी हम जैसों की

कहते इसे कहानी घर घर की हैं  इसमें ना कोई अपना है ना पराया  पाना हर कदम पर तुमको धोखा है  यही बस इस कहानी का झरोखा है  कोई किसी का नहीं है यहाँ  सारे अपने आप से ही जूझ रहे  किसी को नहीं है समय यहाँ  सारे अपने ही ग़मों से लड़ रहे  कहते …

कहने को बहुत कुछ था

कहने को बहुत कुछ था  मगर वो सुन नहीं पाये  आये थे मेरे दर पर मिलने  मगर मिल नहीं पाये  हमने सोचा कि गुफ्तगूं करेंगे  मगर फिर खामोश ही रह गए  कहने को बहुत कुछ था  मगर वो सुन नहीं पाये  अंदाज़ वो अपने अब देखते हैं  आईने में अब खुद से छुपकर  जुबां पर उनके …

दूर निकल आए हैं

दूर निकल आए हैं -२ हम तेरी चाहत में नहीं अब दिखती खुदाई  तेरी नज़रों की जुदाई में  दूर निकल आए हैं -२ हम तेरी निगाहो में नहीं मिलती राह अब हमें तेरी अपनी निगाहों में  कहीं क़ाफ़िला निकल कोई कहीं चाहत का जनाज़ा रूखसत हुए आज कुछ कुछ को मिला नया ज़माना दूर निकल …

क्या तेरा खोया है?

खोया सा आज तेरा दिल है खोये खोये से हैं तेरे शब्द  खोयी खोयी सी ये निगाहें  क्या तेरे सनम आज खोये हैं  किस तरह तुझे आज ढूंढे  कि  आज तेरा वज़ूद ही ग़ुम है निगाहों में दिखता एक सवाल है  कि आज तेरी ज़िन्दगी ही ग़ुम है  किस राह की तुझे तलाश है किस राह खोया है …

ओम नमो गणपतये नमः

परब्रह्म रुपम देवम  प्रणाम है देव नित्यम रूप प्रखर धार कर वक्रतुंड लंबोदरम दान दे आज धरा को विघ्नकर्ता पाप का विनाश कर उथ्थान कर मानव का मानवता को प्रखर कर गणपति गणेश गजनरेश  शिव महिमा का है लम्बोदर आज इस धरा पर प्रचार कर  अपनी शक्ति से हे परब्रह्म  तू मानवता को सद्बुद्धि दे  ओम …

जय जय है जगदंबे

जय जय है माँ दुर्गे  जय जय है जगदंबे तेरा ही आज मैं जप करूँ तेरी ही आज में आरती करूँ तज मोह आज संसार का मैं तेरी ही अब भक्ति करूँ जय जय है जगदंबे जय जय है मात भवानी अनुकंपा तेरी बस बनी रहे जीवन में तेरी शक्ति रहे सांसारिक मोह त्याग कर …

हे शिव

प्रखर प्रचण्ड त्रिनेत्र आज  हे शिव तू अपना खोल दे  पापमुक्त कर धरा को  मनुष्य को तू तार दे  बहुत हलाहल पी चुकी धरा  आज तू अपना त्रिशूल धार ले  हाला जीवन की बहुत पी चुका अब तू मानव को तार दे  प्रखर प्रचण्ड त्रिनेत्र अपना  हे शिव आज तू खोल दे  अर्धमूर्छित इस धरा को  आज …