Tag Archives: Hindi Poems

मैं सनातन हूँ

मैं सनातन हूँ है मेरी कथा निरालीज्ञान से भरा हूँ लेकिन ख़ाली मेरी प्यालीजिसने जब चाहा मुझे निचोड़ा हैजब जिसका मन चाहा मुझे तोड़ा हैमेरे अपने बैठे दर्शक दीर्घा मेंमूक मौन से घिरे इस करतब मेंचिर निद्रा में सो गये थे अनजानेफिर आया मोदी उन्हें जगाने झँझोड़ा जब मोदी ने उनकोतानाशाह की पदवी दे दी …

प्रकृति की गोद

लहरों की चंचलता अठखेलियाँ लगाती हुईसागर की गहराई उनकी चंचलता समेटती हुईकहीं दूसरे छोर पर अंबर के आँचल में सिमटीसूरज की किरणे उजास फैलाती हुईयही दृश्य है सुबह की बेला में यही खेल है प्रकृति की गोद में

कुपित कुटिल भगवान

जीवन की कुछ अपनी ही गाथा है इसकी पहेलियाँ सागरमाथा है तुम चाहे जितना भी जतन करो यह कहेगा छलनी से जल भरो जीवन की डोर है भगवान के हाथों में कहते फिर भी है कि भाग्य है कर्मों में फिर क्यों गीता के अध्याय में क्यों है कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन हर समय जीवन …

निद्रालिंगन

निशा के प्रथम प्रहर से प्रतिक्षित हैं किंतु निद्रा हमें अपने आलिंगन में लेती नहीं कविता की पंक्तियों में जब खोना चाहें तब कविता की कोई पंक्ति कलम पर आती नहीं किससे कहें और क्या कहें कि अब तो शब्दावली भी साथ निभाती नहीं निद्रालिंगन में जितना हम जाना चाहते हैं निद्रा हमें अपने आलिंगन …

पथभ्रष्ट

भ्रष्ट तुम मुझे कहते हो  अपनी लीला जब करते हो  क्यों भूल जाते हो अपनी करनी  जब भूखों को रोटी नहीं देते थे  जब देश में था चोरो का राज  जब कर्मचारी नहीं करते थे काज  कर्जे में डूबा था हर कण  देश खो रहा था प्रगति का रण  भ्रष्ट तुम मुझे कहते हो आज  जब …