प्रेम प्रसंग

प्यार तो मैंने किया तुमसे
पर मैं तुम्हारा प्यार ना पा सका
भरोसा तुमपर किया मैंने
पर तुम्हारा भरोसा ना पा सका

तू ना मेरी बन सकी कभी
ना मुझे कभी अपना बना सकी
ना था छल, कपट हमारे बीच
पर ना पनपा कभी विश्वास भी

आज तू चली फेर कर आँखें
छोड़कर मेरी ये दुनिया
अकेले ही अब चलना है मुझे
अकेले ही करना है जीवन यापन

प्रतीक्षा की हर समय मैंने तेरी
अब भी रहेगी तेरी ही प्रतीक्षा
पर मंशा यही है अब मेरी
कि मिले तुझे हर सुख

ना तुझे पा सके तो क्या
तेरे सुख में अपना सुख पा लेंगे
देख तुझे प्रसन्न हम
जीवन बसर कर लेंगे

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