फिर कभी

आज नहीं फिर कभी मिलना हमसे अकेले
आज नहीं फिर कभी कर लेना हिसाब हमसे
लफ्ज़ नहीं हैं आज हमारे पास बयां करने को
फिर कभी सुन लेना बेवफाई का सबक हमसे
आज नहीं फिर कभी कर लेना हिसाब हमसे
कि नहीं है पैमाना आज दर्द का पास हमारे

ना जाने क्यूँ जिंदगी में हम यूँ जीते आये हैं
ना करना हमसे ये सवाल कभी
कि नहीं हमारे पास कोई पुख्ता जवाब
क्या किसी से हम यूँ बयां करें किसका हिसाब
वो चले गए जहाँ से हमारे हिजाब में छुपकर
अब नहीं पास हमारे उनके दिए ज़ख्मों का हिसाब

आज नहीं फिर कभी ले लेना हमारी जिंदगी की किताब
कि नहीं है हमारे पास उनके दिए ग़मों का कोई हिसाब
हलक में अकते हैं लफ्ज़ और आब-ऐ-तल्ख़ सूख गए
न इसका है हमें इल्म ना ही कर सकेंगे हम इसका हिसाब
आज नहीं फिर कभी मिलना हमसे अकेले
कि आज नहीं फिर कर लेंगे तुमसे जिंदगी का हम हिसाब

आज नहीं फिर कभी लेना हमसे बेवफाई का सबक
नहीं आज हमारे पास उनके दिए ज़ख्मों का कोई हिसाब…..

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