Contemporary Poetry

गुजारिश – २

ज़िन्दगी जो दी है हाथो में तेरे थाम डोर इसकी बना इसको खुशनुमा कि दर्द हमनें बहुत सहे अब तक अब तेरे साथ ज़िन्दगी जीने की चाह है दर्द-ऐ-दिल है की हर वक़्त तड़पाता है एक तेरा साथ है जो दिल को सहलाता है थाम डोर ज़िंदगी की हाथों में अपने माहौल एक खुशनुमा बना …

जाने क्यों नहीं लगता ये दिल

जाने क्यों, जाने क्यों, नहीं लगता ये दिल जाने क्यों नहीं गुजरता है अब दिन राते लगती हैं सदियों सी लम्बी जाने क्यों थम सा गया है ये वक़्त कुछ वो दिन थे जो लम्हों से बहे अब वो दिन हैं सदियों से लम्बे जाने क्यों नहीं लगता कहीं अब ये दिल जाने क्यों ढूँढता …

चीन की घुसपैठ

लद्दाख में चीन की घुसपैठ पर कुछ पंक्तियाँ ——————————————– चीन से आया जो घुसपैठिया उसको लद्दाख में घर बनाए दो घर जो उसने बनाया वहाँ सरकार को बात करने दो अफसरों को और फौजियों को चुप रह सहने की सलाह दो नेताओं तो इसपर राजनीति करने दो बाबुओं को इसपर थोडा सोचने दो मंत्रीजी को …

एक खबर से दबी दूसरी ख़बर

सरबजीत सिंह की मृत्यु ने देश तो झंकझोर कर रख दिया, और इसपर मेरे एक मित्र अनूप चतुर्वेदी ने एक कविता लिखी….जिसको मैं आपके लिए प्रस्तुत कर रहा हूँ|  किन्तु उनकी कविता ने मुझे चंद पन्तियाँ लिखने पर प्रेरित किया, जो उनकी कविता के बाद आपके लिए प्रस्तुत हैं – अनूप चतुर्वेदी की कविता – …

संसार का हाल

हो रही धरा की धरोहर जार जार स्त्री का हो रहा हस ओर बलात्कार सहिष्णुताहीन हो गया है ये संसार घृणा और पाप का लगा है हर ओर अम्बार हलाहल अपमान का पी रहे देव भी दानव कर रहे हर ओर राज सांसारिक मोह में लीं है मानव भी दे रहा दानवों को वो करने …