जब देखता हूँ जगत में पाता हूँ तुझे सबसे पावन देवों से ऊँचा पद है तेरा देवों से महान है तेरा कर्म तेरी गोद मैं मुझे स्वर्ग प्राप्त हुआ तुझसे मुझे जीवन ज्ञान मिला जननी है तू मेरी, मैं हूँ तेरा अंश शिक्षिका तू मेरी, मैं तेरा शिष्य तेरी शिक्षा से जो सीखा मैंने पलभर …
उजाला चहुँ और है, चहुँ और जले हैं दीपफिर भी जीवन अंधकारमय क्यों हैनिस्वार्थ जीवन यापन के जोग मेंक्यों प्रेम स्वार्थ का भय तड़पाता है जीवन डगर पर पित्र प्रेम का पक्ष हैह्रदय के किसी कोने में प्रेयसी की आसक्यों इस जीवन में इतनी द्विविधा हैक्यों पूर्ण उजाले में जीवन अंधकारमय है चंद प्रश्न चंद …
है धूम चहुँ ओर जिसकीहै जिसका चर्चा हर दिशा मेंलोकतंत्र में है जो महत्वपूर्णआया उस निर्वाचन का समय पांच वर्षों में आता है एक बारऔर जिससे चयनित होते हैंतंत्र पर राज करने वाले नेताजनता का पैसा खाने वाले नेता आते हैं उम्मीदवार बन ये नेताकरते हैं हमको प्रणाम और नमस्कारपर चयनित नेता गायब होते हैंगधे …
जीवनपथ पर चलता हूँ मैंलिए हाथ में विष का प्यालानहीं ज्ञात है अभी मुझेअपने ही जीवन की माला प्रेम प्रतिज्ञा से नहीं हुई हैप्रज्वलित मेरे मन की दीपमालाप्रतिदिन अखंड रूप से जलती हैह्रदय में आवेश की प्रचंड ज्वाला जीवनपथ पर हूँ अग्रसर लिए हाथ में विष का प्यालाशिव सी मूरत ना बन जाऊंकहीं पी कर …
नीले अम्बर में चहकते पाँखीझील की गहराइयों में तिरती मछलियाँघने वन में विचरते ये जीव जानवर हैं स्वतंत्रता का एक जीवित स्वरुप भोर भये पूरब से उगता सूरजरात चाँदनी बिखराता चन्द्रमाबलखाती बेलों पर लटकते फूलों की महकहवा के झोंकों में इठलाती पंखुडियाँप्रकृति का हर प्रकार, हर आकारसमय की धारा में गतिमान हैं प्रत्यक्ष रूप से …
काव्य की इन पंक्तियों मेंलहू के दो रंग दिखते हैंशिव शम्भू की इस धरती परनरमुंड और कंकाल ही दिखते हैं अग्नि जो आज प्रज्वल्लित हुईकर रही नरसंहार हैविस्फोटों की इस गर्जन सेगूँज रही प्रकृति अपार है… मुकुट भारत के शीश काआज रक्त से सराबोर हैदेवों का निवास था जो कभीशान्ति का वहाँ अकाल है इतने …
शहर छोड़ चले हमचले अज्ञात अंधियारों मेंस्मृति बस रह गयी हैं उन गलियों चौबारों की जहाँ खेल हम बड़े हुएजहाँ सीखा हमने चलनाबोल चाल की उस दुनिया सेचले होकर हम अज्ञानी राह बदली शहर बदलेबदली हमारी चाल भीना बदला कुछ तोथी वो हमारी स्मृति ही भूलना चाहा बहुत हमनेचाह थी कुछ ऐसी हीछोड़ चले थे …
हिम की सिल्लियाँ उडी हवा मेंसाथ उडी कुछ मानव देह भीसर्द इस संध्या में गूंज उठी घाटीगर्जन हुई ऐसी, दहल गयी दिल्ली भी श्वेत चादर से ढंकी ये घाटी थी कभी शांती का प्रतीक आज सजी है ये लहू सेधधकती कुछ ज्वाला सी ज्वाला जो प्रज्वलित करती देवों की दीपमाला कोआज प्रज्वलन कर रही वोइस …
तकनिकी रूप में प्रगतिशील है मेरा देशफिर भी विचारात्मक रूप से गरीब है आज विश्व में द्वितीय सबसे बड़ा है येफिर भी गरीबों से भरा है मेरा देश कमी नहीं है धन और धान्य की यहाँकिन्तु जमाखोरों की तिजोरी में भरा हैहैं बहुत सी संपत्ति, धरोहर मेरे देश कीकिन्तु अन्य देशों में जमा है सब …
जीवन में ये स्थिरता ये ठहराव क्यों हैक्यों लगता है कि कुछ कम हैतेरे आने से पहले जो ना थातेरे आने के बाद आज सब है यदि आज कुछ कहीं कम है तो है तेरे आलिंगन की अनुभूतीहै वो मधुर मध्धम वाणी के बोलकम है आज समय तेरे साथ बिताने को ज्ञात है मुझे …