हमारे देश का दुर्भाग्य है की “वन्दे मातरम” कहने वालों को कट्टरवादी कहा जाता है। भारतीयता की पहचान तिरंगे को अस्वीकार किया जाता है, एवं भारत के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में भारत विरोधी नारे लगाने वालों का समर्थन किया जाता है।
हे भारत के वासियों, किस बात का तुम बदला ले रहे हो अपनी ही मात्रभूमि से? यही कि इस राष्ट्र ने तुम्हें हर प्रकार की स्वतंत्रता दी है? यही कि इस राष्ट्र में तुम सर्वाधिक सुरक्षित हो? यही कि तुम अलगाववादी विचारधारा एवं नीति का पक्ष लेकर भी इस राष्ट्र में स्वतंत्र विचरण कर सकते हो?
ज़रा सोचो यदि तुमने संयुक्त राष्ट्र अमरीका, चीन, इस्राएल जापान, कोरिया, रूस, जर्मनी, फ़्रान्स अथवा पाकिस्तान में जान लिया होता तो क्या तुम राष्ट्र विरोधी नारे लगा कर जीवित बच पाते? अगर सोचते हो कि हाँ, तो चीन के थियानमन चौक के बारे में पढ़ लेना, अमरीका के FBI के बारे में पढ़ लेना और भारत को छोड़ हर उस राष्ट्र में इस प्रकार की गतिविधियों के सच के बारे में और वहाँ की राष्ट्रीयता के बारे में पढ़ लेना। ख़ुद समझ जाओगे कि भारत में कितनी स्वतंत्रता है।
यदि भारत में विश्वविद्यालयों में तिरंगा लहराने का आदेश आया है तो इसमें आपत्ति क्यों? क्या विश्वविद्यालय भारत का अंश नहीं है? क्या उनमें पढ़ने वाले विद्यार्थी भारतीय नहीं हैं? है कोई ऐसा जो मुझे इस आपत्ति के मूल कारण से अवगत करा सके? मेरे अनुसार इस प्रकार की आपत्ति अत्यंत क्षोभनिया है। आज वर्षों बाद मुझे इस बात पर गर्व होता है कि मेरे कॉलेज में वर्ष में २ बार (१५ अगस्त एवं २६ जनवरी) को जब झंडा वंदन होता था, तब उस झंडे को बाँधने का कार्य मैं करता था। आज दिल्ली में हुए राष्ट्र विरोधी प्रदर्शन के बाद वन्दे मातरम एवं झंडावंदन का विरोध करने वालों की मानसिकता पर ग्लानि होती है कि हम उन सर्पों को दुग्धपान करवा रहें हैं जो बाद में हमें ही डँस लेंगे। हमारी आमदनी से जो कर हम देते हैं, उस कर से चलने वाले विश्वविद्यालय के छात्र कुछ इस प्रकार का निंदनीय कृत्य कर रहे हैं!!
भारत में रहने वाले प्रत्येक भरतीय से मेरी एक ही विनती है कि राष्ट्रवाद को राजनीति से परे रख कर अपनी विचारधारा का गठन करे। भारत माता की जय एवं वन्दे मातरम कहने में ना तो कोई धर्म बीच में आता है ना ही इसपर कोई आपत्ति होनी चाहिए। तिरंगे को फहराने में यदि किसी को आपत्ति है तो वह भारत छोड़ कर जहाँ चाहे जा सकता है, ऐसे लोगों का इस राष्ट्र में कोई स्थान नहीं है।
मेरे अनुसार राष्ट्र वंदना में राष्ट्रीय गान, झंडा वंदन एवं वन्दे मातरम का महत्वपूर्ण योगदान है एवं इन तीनो में से एक भी यदि छूट जाता है तो राष्ट्र वंदना अपूर्ण है।