हिंदुत्व के बारे में अलग अलग लोगों की अलग अलग विचारधारा है| कुछ इसे अत्यधिक सहनशील धर्म मानते हैं तो कुछ इसे रूडिवादी ठहराते हैं| १९९२ में अयोध्या के अध्याय के बाद हिंदुत्व को लोगों ने और भी नकारात्मक दृष्टि से देखना शुरू किया| २००२ में गोधरा काण्ड के बाद गुजरात में प्रज्वलित हिंसात्मक विचारधारा ने हिंदुत्व के बारे में लोगो की नकारात्मक विचारधारा को और भी बल दिया| किन्तु क्या हिंदुत्व वास्तव में इतना हीन धर्म है? अगर इस प्रश्न का विश्लेषण किया जाए तो उत्तर होगा – “नहीं”| हिंदुत्व में बुराइयां नहीं अच्छाइयां ही अच्छाइयां हैं|
यदि हम हिंदुत्व के बारे में ग्रंथों में पढ़ें तो पाएंगे कि हिंदुत्व से बढ़कर वैज्ञानिक धर्म और कोई नहीं है| पर-धर्म आक्रमण ने प्रगतिशील हिंदुत्व को पतन की और मोड़ दिया एवं बदलते समय के साथ हिंदुत्व के लाभदायक गुणों को हमने खुद भुला दिया| आज हम मांसाहार, मदिरापान अत्यादी जैसी आदतों से परिपूर्ण हिंसात्मक प्रवत्ति के शिकार हो गए हैं| किन्तु क्या कभी हम हिंदुत्व के बारे में पढ़कर हिंदुत्व की अच्छाइयों को संसार के सामने लाने के बारे में विचार करते हैं? उत्तर साधारणतया “नहीं” ही होगा|
मेरे इस लेख में मैं हिंदुत्व की चंद लाभदायक बातों का विश्लेषण कर उन्हें संसार के सामने प्रस्तुत करने की चेष्टा कर रहा हूँ| यदि आप रूचि रखते हैं तो आगे पढ़े एवं हो सके तो इस लेख को अपने परिजनों एवं मित्रो को भी पढाएं|
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हिंदुत्व के गुणकारी प्रभाव –
१. स्वास्थ्य की महत्वता
अन्य धर्मों से अलग हिंदुत्व जीने कि एक राह दिखता है| हिंदुत्व आपको स्वस्थ रहने के तरीके सिखाता है| योग-अभ्यास, प्रतिदिन स्नान-ध्यान, मांसाहार से दूरी इत्यादि नियम आपका स्वास्थय संतुलित रखते हैं एवं आप निरोगी काया के स्वामी बन निरोगी जीवन जी सकते हैं| स्वास्थय समन्धित अन्य नियमों में धर एवं आस-पड़ोस में स्वछता बनाये रखने का नियम भी अत्यंत महत्वपूर्ण है|
२. संसार में शान्ति का प्रचार
हिंदुत्व में हम ये कभी नहीं सुनते कि केवल एक हिन्दू ही स्वर्ग में जाएगा अथवा केवल हिन्दुओं के भगवन ही तारक हैं…इत्यादि इत्यादि| हिंदुत्व तो केवल यही कहता है कि आप अपने कर्मों को इसी जनम में भुगत के जाओगे, कि सारे पथ अंत में एक ही ब्रह्म में विलीन होंगे|
ॐ असतो मा सद्गमय
तमसो मा ज्योतिर्गमय
मृत्योर्माम्रतम गमय
ॐ शांति शांति शंतिही||
यदि आप स्मरण करने का कास्ट करेंगे तो केवल हिंदुत्व में ही कहा जाता है –
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयः
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, माँ कश्चित् दुःख भाग्भवेत||
३. वातावरण के प्रति निष्ठां
यदि आप इस बात पर ध्यान दें कि कितने मंदिरों के प्रांगन में उद्यान होते हैं, पेड़ पोधे लगे होते हैं, शीतलता का अनुभव होता है, तो आप स्वयं इस बात को नहीं नकारेंगे कि हिंदुत्व सही में वातावरण प्रियता को बढ़ावा देता है| हिंदुत्व में पेड़ पोधो को जो महत्वता दी गयी है उसका यदि विश्लेषण किया जाए तो अपने आप आपको ज्ञात होगा कि वट-वृक्ष, पीपल एवं तुलसी के अपने गुणकारी प्रभाव होते हैं एवं उनका अपना एक महत्व है| साथ ही ताम्बुल का उपयोग भी स्वथ्कारी गुणों में सम्मिलित होता है|
यदि पेड़ पोधो से हट हम जीव जंतुओं के प्रति हिंदुत्व के व्यवहार को देखें तो पाएंगे कि हिंदुत्व में ना केवल गाय को, अपितु सिंह एवं सर्प को भी वाही सम्मान एवं आदर मिलता है| मुझे आज भी स्मरित है कि घर में पहली रोटी गाय की एवं फिर कुत्ते की और उसके बाद अन्य परिजनो के लिए रोटियाँ बनती हैं| इससे यही प्रतीत होता है कि हिंदुत्व में घर एवेम घर के बहार रह रहे जीवों का भी ध्यान रखने के विचार को प्रोत्साहित किया गया है||
४ कला के प्रति रुझान
हिंदुत्व में कला को प्रोत्साहित करने का अपना भाव है| हिंदुत्व में कलाकारों को प्रोत्साहित किया जाता है एवं उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी किया जाता है| नृत्य एवं संगीत का हिंदुत्व में अपना अलग स्थान है एवं हर त्यौहार में नृत्य एवं संगीत को सम्मिलित किया जाता है| यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि हिन्दू त्यौहार बिना नृत्य अथवा संगीत के माने नहीं जा सकते| हिंदुत्व की हर शाखा में नृत्य एवेम संगीत कला का अपना एक अलग प्रारूप है एवं हर प्रारूप का अपना एक अलग ही आनंदमयी अनुभूति है|
५. स्त्री प्रारूप की वंदना
हिंदुत्व में स्त्रियों को उंचा स्थान दिया जाता है| घर के हर बड़े / छोटे निर्णय लेने में उनके विचार भी समझे जाते हैं| हिंदुत्व में देवताओं के स्त्री प्रारूप “देवियों” की भी पूजा अर्चना की जाती है| सम्पूर्ण समाज में स्त्रियों को सम्मिलित कर उनको आदर सहित, भावनापूर्ण सम्मान दिया जाता है|
केवल हिंदुत्व में ही स्त्री के परित्याग को समाज पति का दोष मानता है| पत्नी परित्याग की प्रथा भी मूलतः हिन्दू प्रथा नहीं है|
६. हिन्दू ग्रन्थ
हिन्दू ग्रन्थ एवं शाश्त्र अपने आप में स्वस्थ एवं शांतिपूर्ण दिनचर्या का महत्व हमारे सामने रखते हैं| जैसा कि मैंने उपरोक्त पन्तियों में लिखा है, हिन्दू ग्रन्थ वैज्ञानिक सोच एवं समझ को बढ़ावा देते हैं| यदि हम सहस्त्रों को सही समझ के साथ दैनिक प्रयोग में सम्मिलित करें तो हमारे जीवन एवं आचरण का उत्थान ही होगा|
७. परिवर्तन के लिए कोई दबाव नहीं
हिंदुत्व में अन्य धर्मो की तरह धर्म परिवर्तन के लिए किसी पर कोई दबाव नहीं हिय जाता| हिंदुत्व में मंदिरों में अथवा धर्म सभाओं के प्रवचनों में धर्म परिवर्तन नहीं “आत्म परिवर्तन” का प्रचार किया जाता है|
८. कोई कठोर हठधर्मिता नहीं
हिंदुत्व अपने आप में नरमपंथी है| हिंदुत्व में कोई कठोर नियम नहीं हैं एवं यह केवल और केवल आपके ऊपर निर्भर करता है की आप क्या करना चाहते हैं| हिंदुत्व में बलपूर्वक अथवा छलपूर्वक आपसे नियमों का अभ्यास नहीं करवाया जाता| हिंदुत्व में यह भी नहीं कहा जाता कि अमुक दिन मंदिर जाना है अथवा अमुक दिन नहीं जाना है| हिंदुत्व पूर्णतया आत्मचिंतन एवं स्वनियम के सिधान्तों को महत्व देता है|
९. जीव जंतुओं का आदर करना
जैसा के पहले भी लिखा है, हिंदुत्व केवल मित्र एवं परिजनों के आदर का ही भाव नहीं देता, अपितु यह सर्वजन आदर एवं कल्याण की भावना का प्रचार करता है| केवल हिंदुत्व में ही सर्वजन को देवत्व का प्रारूप माना गया है एवं यह माना गया है कि हर जीव में देव बसते हैं| हिंदुत्व में “नमस्कार” अर्थात “नमन संस्कार” का मूल कारण ही यही है कि सर्व जन में उपस्थित देवत्व को नमन / प्रणाम किया जाता है| हर जीव में देव प्रारूप का आदर करना ही हिंदुत्व का सार है|
१०. हिन्दू विधि-विधान
हिन्दू विधि विधान अपने आपमें एक वैज्ञानिक प्रयोग हैं| यदि हम विश्लेषण करें तो हर श्लोक, हर चालीसा, हर आरती को पढ़ने का एवं उच्चारित करने का अपना एक विधान होता है| कुछ विशिष्ट उदहारण –
- ॐ का उच्चारण पूर्णतया श्वास पथ का व्यायाम प्रारूप है| ॐ की सिद्धि नाभि से ले कर मष्तिष्क तक का व्यायाम कहा गया है
- हवन भी अपने आपमें एक वैघ्यानिक प्रयोग है| हवन के उपयोग में लाइ जाने वाली हर सामग्री एवं हवन प्रज्ज्वलन से होम तक हर प्रक्रिया वैज्ञानिक रूप से महत्व रखती है| हवन अपने आपमें वातावरण शुद्धिकरण का एक प्रयोग है||
- हनुमान चालीसा का पाठ शरीर में ऊर्जा एवं साहस का संचार करता है
- गायत्री मंत्र अपने आप में एक प्राणायाम है
११. हिन्दू त्यौहार
हिंदुत्व में त्यौहार लोगों को मिलाने का कार्य करते हैं| साथ ही यदि हम त्योहारों पर गौर करें तो सारे त्यौहार कृषि-प्रधान एवं ऋतू बदलाव का समागम हैं| हर त्यौहार उल्लास एवं ऊर्जा संचारित करता है एवं कुछ क्षणों / दिनों के लिए ही सही, कास्ट एवं पीड़ा मुक्त करता है|
यदि हम कुछ त्योहारों का विश्लेषण करें तो पाएंगे कि हिंदुत्व पहला ऐसा धर्म है जिसमें वित्तीय-वर्ष समाप्ति का प्रावधान है| दीवाली पर वैश्य अपने नए बहीखाते शुरू करते हैं| इसी प्रकार होली, दशहरा, नवरात्री एवं अन्य त्योहारों का अपना एक ओचित्य है|
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हिंदुत्व के उपरोक्त गुणकारी प्रभावों पर आपकी टिपण्णी की प्रतीक्षारत – मयंक