कल रात के उसके इस व्यवहार से मुझे एक पूर्वकाल की घटना याद आ पड़ी| मेरा एक मित्र हुआ करता था| था इसलिए कि वो अब इस संसार में नहीं है| हमने उसे खो दिया है और वो समय से पूर्व इस मोह माया भरे अप्रिय जीवन को त्याग परमात्मा में लीं हो गया है|
तो मेरे उस मित्र के साथ कभी कुछ ऐसा घटित हुआ था कि उसका सांसारिक जीवन से मोह भंग हो गया था| उसे किसी का व्यवहार इतना अप्रिय और दुष्कर लगा कि उसने हमारे तत्कालीन CO साहब को कहा कि उसे कोई अवकाश नहीं चाहिए और ना ही उसे किसी भी जटिल कार्य से कोई समस्या होगी| उसने उनसे कहा कि जितने भी जटिल और गुढ़ कार्य हों, उसे वही सोंपे जाएँ| तब से ले कर उसने अपने आखिरी समय तक अपने कार्य के सिवा कभी कोई और वार्तालाप भी नहीं किया|
आज मेरे प्रियजन से वार्तालाप करते हुए मुझे लगा कहीं वो भी उसी डगर पर ना चल पड़े| वो जो कभी मेरे कहे अबुसार चलता था, आज इतना हताश हो चूका है कि उसने खुद को सबसे दूर करने का निर्णय ले लिया है| हालांकि उसने कुछ समय पूर्व भी ऐसा ही कदम उठाया था, किन्तु मैंने उसे समझाया और उसे मना कर वापिस सामाजिक गतिविधियों में लीं किया| लेकिन मुझे अत्यंत क्षोभ है कि इस बार मैं उसे समझाने में असफल रहा|
उसके जीवन में केवल कुछ ही ऐसे व्यक्तित्व वाले लोग हैं जो उसे समझा सकते हैं, लेकिन इस समय उसकी मानसिक अवस्था कुछ ऐसी है कि वो किसी की सुनने का इच्छुक नहीं लगता|
मेरी आप सबसे विनती है कि उसे प्रोत्साहित करने के लिए मेरा साथ दें| हो सकता है कि वो मेरी ना सही आपकी, जो उसके लेखों के पाठक हैं, उनकी बात का मान रखे| मैं उसे समझाने का पुरजोर प्रयत्न करूँगा, किन्तु उसमें मुझे आपका भी साथ चाहिए|
उसकी सबसे बड़ी समस्या ये है कि वो कभी किसी से खुलकर कुछ नहीं बोलता| सिर्फ अप्रिय घटनाओं से आहत हो कर जीवन के अप्रिय निर्णय लेता है|