गर तुम पिलाओ मदिरा

गर तू अपने होंठों से मदिरा पिलाए तो मैं पी लूँकि तेरे हाथों से में बहुत मदिरा पी चुकागर तू अपने लबों से पिलाए तो मैं पी लूँकि तेरी आखों से मैं बहुत पी चुकागर भर अधर का प्याला पिलाए तो मैं पी लूँकि तेरे केसुओं की लटों से मैं बहुत पी चुकाऐ साकी गर … Read more

वो आए जिनका इंतज़ार था

This poem was specifically written for a very cute and fast friend of mine 🙂_________________________________________जान-ऐ-बहार के आते हीखिल पड़े हैं गुल-ऐ-गुलज़ारक्या कहेंहाल-ऐ-दिल काकि बेसब्र हुआ हर बारना चाह कर भी चाहा उनकोजिया में जानने को उनकोना जा सके कहीं दूर उनसेसमां यूँ बंधा उनके आगोश में

गुजारीश वफ़ा-ए-सनम से

गुजारिश आज आपसे है ऐ सनमदे सको तो देना खुशी न देना गमकि गम का समंदर होता बहुत गहरा हैमाझी तो छोडिये साहिल तक डूब जाता है कि गम-ऐ-उल्फत में हम ना जी सकेंगेतेरी तनहाई में जाम भी ना पी सकेंगेकि पैमाना भी जब उठाते हैंकमबख्त उसमें भी तेरा अक्स नज़र आता है सोचते हैं … Read more

गुजारिश

तुझे चाहने की सज़ा पाता हूँतेरे ही गम में अपना लहू जलाता हूँना चाहते हुए भी अक्सर तेरे अक्स मेंमैं अपनी रौशनी ढूंढें जाता हूँरोशनाई कहीँ कम ना पडेये सोच के अपने लहू सेमैं ये नज़्म लीखे जाता हूँगुजारीश करता हूँ आपसे आजना ही करो रुसवा यूं मेरी चाहत कोना झुकाओ पलकें यूंभर नफ़रत नीगाहों … Read more

एक नज़्म तन्हाई पर

तन्हाई का आलम मुझे हर कहीँ घेर लेता हैंभीड़ में भी तनहां होने का गुमां होता हैकी तनहां आये हैं, तनहां ही चले जाना है,फीर भी तनहां रहने से dil बेजाँ परेशां क्यों है तन्हाई का आलम मुझे हर कहीँ घेर लेता हैभीड़ में भी तन्हाई का गुमां होता हैवो पूछते हैं की तन्हाई में … Read more