कि अभी तो हुई शुरू बात दिल कि है
और अभी तुम जाते हो
कि अभी तो नासूर–ऐ–दिल को छेड़ा है
और तुम जाते हो
कि अभी तो खून–ऐ–जिगर बाकी है
और तुम जाते हो
ऐ दोस्त जुल्म यूँ न कर
न हो गर हिम्मत–ऐ–नज़र
छेड के दास्ताँ–ऐ–जिगर
हमें यूँ बेजार न कर
Words are Reflection of Soul
कि अभी तो हुई शुरू बात दिल कि है
और अभी तुम जाते हो
कि अभी तो नासूर–ऐ–दिल को छेड़ा है
और तुम जाते हो
कि अभी तो खून–ऐ–जिगर बाकी है
और तुम जाते हो
ऐ दोस्त जुल्म यूँ न कर
न हो गर हिम्मत–ऐ–नज़र
छेड के दास्ताँ–ऐ–जिगर
हमें यूँ बेजार न कर