कीसीं ने कभी सही कहा था…
की दीखता है मंजर असली
बजते हैं साज़ सारे…
जब छेड़ दो तार दिल के
नहीं मालुम क्यों….
तुमने आवाज़ दी …
और हम रो दीये….
आन्सुयों की जगह कलम से
कागज़ पर ये
शब्द बीखेर दीये
Words are Reflection of Soul
कीसीं ने कभी सही कहा था…
की दीखता है मंजर असली
बजते हैं साज़ सारे…
जब छेड़ दो तार दिल के
नहीं मालुम क्यों….
तुमने आवाज़ दी …
और हम रो दीये….
आन्सुयों की जगह कलम से
कागज़ पर ये
शब्द बीखेर दीये