कॉंग्रेस एवं राहुल गाँधी

प्रजातंत्र में वैसे तो प्रजा प्रधान होती है, किंतु कॉंग्रेस के अनुसार प्रजा मूर्ख होती है।

कॉंग्रेस ने २०२४ का लोकसभा चुनाव राहुल गाँधी के नेतृत्व में लड़ा एवं उन्होंने संपूर्ण ध्यान जनता को लुभाने एवं मूर्ख बनाने में ही लगाया। इस लेख में राहुल गाँधी द्वारा दिये गये विभिन्न कथन का विश्लेषण करते हैं –

1। अड़ानी के शेयर जून ३ को बढ़े एवं जून ४ को गिरे, इसका सीधा संबंध अड़ानी एवं मोदी द्वारा किए गए भ्रष्टाचार से है।

उपरोक्त कथन अत्यंत ही हास्यास्पद है। शेयर मार्केट साकार की स्तिर्था पर निर्भर करता है। यदि स्थिर सरकार होगी, तो नीतियाँ अनुकूल होंगी एवं यदि नीतियाँ अनुकूल होगी तो व्यापार में वृद्धि होगी। यदि जून ३ को अड़ानी के शेयर बढ़े तो कृपया इस बात पर भी ध्यान दें कि NIFTY ८०० एवं SENSEX ४००० अंकों के आसपास ऊपर उठे थे एवं जून ४ को चुनाव के नतीजों की अस्तिर्था देखते हुए यही दोनों क्रमश: १५०० एवं ४००० के आसपास गिरे भी थे। कल अर्थात् जून ५ को ये ७००+ एवं ३५००+ बढ़े भी। यदि समस्त समीकरण में अड़ानी के शेयर्स में भी घटोत्री एवं बढ़ोतरी देखी गई तो उसका अड़ानी एवं मोदी जी के संबंधों से जोड़ना अनुचित होगा। यह समस्त समीकरण निवेशकों पर निर्भर करता है।

२। प्रत्येक महिला को ८५०० मासिक एवं 1,००,००० सालाना भत्ता – खटाखट

अपने चुनावी भाषण में राहुल गाँधी ने कहा था कि यह भत्ता अर्थव्यवस्था में उसी प्रकार कार्य करेगा जैसे स्टोव में कोयला अथवा कार में पेट्रोल। उनके कहने के अनुसार इस व्यवस्था से बाज़ार में पैसा घूमेगा क्योंकि सभी महिलाओं को प्रत्येक माह जो भत्ता मिलेगा, उससे वे अपने परिवार के लिए आवश्यक वस्तुएँ ख़रीद पाएगी। इससे वस्तुओं की खपत बढ़ेगी एवं उत्पाद बढ़ेगा।

कोई मुझे यह बताएगा कि यदि बिना कुछ किए वार्षिक 1 लाख मिलेगा तो क्या उद्यमों में आवश्यक कर्मचारी मिलेंगे? यदि कर्मचारी नहीं मिलेंगे तो क्या उद्यम चल पाएँगे? यदि उद्यम नहीं चले तो सरकार कर किसपर लगाएगी? यदि कर व्यवस्था नहीं होगी तो क्या ये ८५०० मासिक मिलेंगे? हाँ भाई इतना सूचना क्यों? हमें इससे क्या करना, हमें तो मुफ़्त की रोटी तोड़नी है।

३। हर युवा को प्रथम रोज़गार की गारंटी

रोज़गार के लिए प्रथम आवश्यकता होती कई काम करने की इच्छाशक्ति एवं उसके लिये आवश्यक गुण। द्वितीय, यदि सरकार हर युवा को रोज़गार देगी तो उसका राजस्व कहा से आएगा? क्या उसके लिए निजी उद्यमों का सहयोग नहीं लगेगा? क्या उसके लिए मात्र सरकारी तंत्र में ही रोज़गार मिलेगा? इस प्रकार की गारंटी से क्या आप अनुचित आशाएँ नहीं बढ़ा रहे?

ये मात्र कुछ कथन है जो हमें यह बताती हैं कि यही कभी कॉंग्रेस सत्ता में आयी एवं राहुल गाँधी प्रधानमंत्री बने, तो राष्ट्र की वित्तीय व्यवस्था का क्या होगा? ज्ञात रहे कि इसी कॉंग्रेस सरकार ने वर्ष १९९१ में राष्ट्र का २१ टन सोना बेचा था क्योंकि हमारे वित्तीय कोष में 1 माह के आयात का भी पैसा नहीं था।

ज्ञात रहे कि हिंदुओं को जाती में बाँट कर वर्ग विशेष को संपूर्ण समर्थन दे कर कॉंग्रेस भारत को विकासशील राष्ट्र से निर्धन राष्ट्र में परिवर्तित कर देगी।

अभी भी समय है, कॉंग्रेस के झाँसे में मत आओ, उठो एवं राष्ट्र निर्माण में सहयोग करो। यदि कॉंग्रेस को चुनाव में समर्थन दे चुके हो, तो अभी भी समय है, २०२९ में राष्ट्र हिट को सर्वोपरि रखो स्वहित को नहीं।