मोहब्बत का परवाना

हमने दो लफ्ज क्या कहे इश्क परकि दुनिया ने हमें यूँ सुनायान हम सोच सके कि क्या है खता हमारीकि काँटों से हमारी सेज को सजायाना जानते थे कि वो लफ्ज हमारेकरेंगे हमें इस कदर रुसवाकि बेआबरू कर हमेंयूँ जार जार करेगी दुनियाकैसे कहें उनसे हम अपनी कहानीकैसे बयां करें हाल-ऐ-जिंदगानीक्या कहें कि क्या दर्द … Read more

खुशी – खुदा की नेमत

खुशी ना ढूंढ तू अपनी किसी तमन्ना मेंकि दर्द ही मिलता है इस गली जाने सेना कर तू रोशनाई को इस कदर परेशाँकि हो जाए स्याह ये खून तेरे जिगर काखुशी ढूंढनी है गर तुझे कहीं ऐ बंदे तो जा तू खुदा के घर उसकी इबादत मेंखुशी गर तुझे मिलनी है कहीं ऐ बंदेतो जा … Read more

आशियाँ

तिनका तिनका जोड़ आशियाँ यूँ सजाना ना हो कोई रुसवा न रहे कोई कहीं तन्हा ख्वाबों को भी कुछ इस कदर सजानाकी आँखों की राह ना टूटे दिल का अफसाना  ऐ राहगुजर, राहगीर में ना ढूंढ हमसफ़रकि राह से यूँ  बेगार बेवजह ना गुजरजीना मरना तो इस कायनात का खेल हैइसे तू अपनी आह से … Read more

बेपरवाह

यादें गर खामोश कर जाती तो न होता ये दिल बेचैनना होते रूबरू इस कदर गम-ऐ-जिंदगी सेशामों तन्हाई ना करती इस कदर गुफ्तगूंना  होती जिंदगी में गहरी ज़ुत्सजु वादे उनके यूँ बेसब्र ना कर जातेगर बातों में उनकी शान-ऐ-वफ़ा ना होतीबातें उनकी जो आती है याद तुम्हेंसाबित  कर जाती हैं ईमान उनका कुछ थे वो … Read more

मौसम-ऐ-जज़्बात

मौसम  तो है वही पुराना लौट आई पुरवाई भी ना जाने क्यूँ लगता है की हो तन्हाई और वो नहीं सोचने पर हम मजबूर हुए, पूछा हमने खुदा से भी समझ न सके ये दुरियाँ, यादों के साये में भी इन्तहा लगती ये आरज़ू-ऐ-इश्क की है कि आरज़ू की है ये जूत्सजू  ये दिल डूबा … Read more

आँखें

कि हया शर्म लाज लज्जा है तो इन आँखों मेंपर कहीं गहराई में छुपी है किसी कि खामोशीदुनिया को दिखती है सिर्फ इनकी मासूमियतकि छिपी है कहीं इनमें कोई सच्चाई है तो कुछ गहराई इन आँखों मेंकि दिल का दर्द इनमें सिमट आता है कुछ तो है इन आँखों मेंकि होठों कि मुस्कान तक दबा … Read more

काफिर

कौन कमबख्त कहता है तुझे काफिर गर बात मेरी करते हो ऐ जानिब तो जानो कि मैंने खुदाई को रुसवा किया है  अक्स पे मैंने खून-ऐ-रोशनाई से ज़िक्र किया है कि इबादत हम खुदा की क्या करें  जब खुदा ने ही ज़ख्म बेमिसाल दिया है कि आलम कुछ इस क़द्र है बेसब्र खुदा का ना … Read more

जिंदगी अक्स में गर गुजरती

गर अपने होंठो पर सजाना है तो खुदा कि इबादत को सजागर कुछ गुनगुनाना है तो जिंदगी के नगमें गुनगुनाकि ये सफर नहीं किसी सिफार कि कगार काजानिब ये है अक्स तेरी ही शक्शियत काजिंदगी का मानिब समझ ऐ राहगुज़रकि राह में थक कर मंजीलें नहीं मिलतीसमझ बस इतना लीजे ऐ खुदा के बंदेकि यादों … Read more

दास्तान आंसुओं की

आंसुओं की दास्ताँ न पूछ मुझसेकि आंसू तो यूँही निकल पड़ते हैंथामना भी चाहूँ इन्हें मगर तेरी याद में बह निकलते हैं